Maa Kali Mantra: शुक्रवार को पूजा के समय करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जप, बदल जाएगी फूटी किस्मत
धार्मिक मत है कि शुक्रवार के दिन विधि पूर्वक धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है। साथ ही घर में खुशियों का आगमन होता है। इस दिन साधक लक्ष्मी वैभव व्रत भी रखते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। लक्ष्मी वैभव व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 27 Jun 2024 04:31 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Maa Kali Mantra: सनातन धर्म में शुक्रवार के दिन जगत की देवी मां दुर्गा और उनके रूपों की पूजा की जाती है। जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की लीला अपरंपार है। अपने भक्तों की रक्षा के लिए कभी काली तो कभी चंडी रूप धारण करती हैं। वहीं, कभी लक्ष्मी रूप में भक्तों की निर्धनता दूर करती हैं। मां दुर्गा के शरणागत रहने वाले भक्तों की सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही साधक की सभी सकारात्मक मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
अतः साधक श्रद्धा भाव से जगत जननी की पूजा एवं उपासना करते हैं। साथ ही विशेष अवसर पर तीर्थस्थल की यात्रा कर मां के दर्शन करते हैं और उनका आशीर्वाद पाते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख और संताप से निजात पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन विधि-विधान से जगत जननी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें। इन मंत्रों के जप से जगत जननी मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा साधक पर अवश्य ही बरसती है।
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1. ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥2. ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं॥
3. ॐ ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥4. ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥5. श्मशान भैरवि नररुधिरास्थि वसाभक्षिणि सिद्धिं मे देहि मम मनोरथान् पूरय हुं फट् स्वाहा॥6. ॐ त्रिपुरायै विद्महे महाभैरव्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥7. ह्लीं बगलामुखी विद्महे दुष्टस्तंभनी धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
8. ऐं स्त्रीं ॐ ऐं ह्रीं फट् स्वाहा॥9. ॐ धूमावत्यै विद्महे संहारिण्यै धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात्॥10. ॐ शुक्रप्रियायै विद्महे श्रीकामेश्वर्यै धीमहि तन्नः श्यामा प्रचोदयात्॥