Chhath Puja 2023: नहाय खाय से होती है छठ महापर्व की शुरुआत, जानिए इसका महत्व और नियम
Nahay Khay 2023 छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से होती है। इस पर्व के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है। छठ का व्रत महिलाएं अपनी संतान की सलामती और उज्ज्वल भविष्य के लिए करती हैं। छठ पर्व के पहले दिन नहाए खाय मनाया जाता है। छठ मनाने वाले लोगों में इस दिन का विशेष महत्व है।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 17 Nov 2023 11:20 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2023: छठ पर्व का चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत आज यानी 17 नवंबर, शुक्रवार के दिन से हो रही है। आज नहाय खाय का पर्व मनाया जाएगा। साथ ही इसका समापन 19 नवंबर को छठ पूजा के दिन संध्या अर्घ्य देकर किया जाएगा। ऐसे में आइए जानते हैं नहाय खाय का पर्व महत्व और इससे जुड़े कुछ जरूरी नियम।
नहाय खाय का शुभ मुहूर्त
नहाय खाय के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 45 मिनट पर होगा। वहीं सूर्यास्त शाम 05 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में 17 नवंबर शुक्रवार के दिन सुबह 11 बजकर 38 बजे तक नहाय खाय बरौना कर लेना चाहिए।
नहाय खाय का महत्व
नहाय खाय जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है - स्नान करके भोजन करना। इस दिन नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं। इसके बाद कच्चे चावल का भात, चना दाल और कद्दू या लौकी का प्रसाद बनाकर उसे ग्रहण करती हैं।माना जाता है कि नहाय खाय का यह भोजन साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने वाले साधक इस सात्विक द्वारा खुद को पवित्र कर छठ पूजा के लिए तैयार होते हैं।
नहाय खाय के नियम (Nahay Khay Niyam)
नहाय खाय के दिन साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है। इस दौरान कई नियमों का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है। ऐसे में इस दिन प्रसाद का भोजन बनाते समय स्वच्छा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। भोजन बनाने से पूर्व स्नान कर लें और हाथों की स्वच्छा का ध्यान रखें। भूलकर भी किसी जूठी चीज जैसे बर्तन का इस्तेमाल न करें। साथ ही इस दिन व्रती के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन ही करना चाहिए।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'