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Chhath Puja 2024: छठ पूजा में सूर्य देव के इस स्तोत्र का करें पाठ, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता

छठ पूजा एक ऐसा पर्व है जब डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है क्योंकि सनातन धर्म में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही कई विशेष चीजों का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि भोग और व्रत करने से संतान को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Thu, 07 Nov 2024 08:30 AM (IST)
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Chhath Puja 2024: छठ पूजा में जरूर करें सूर्य देव की पूजा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, आज यानी 07 नवंबर (Chhath Puja 2024 Date) को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दौरान छठी मैया और सूर्य देव की सच्चे मन से पूजा-अर्चना की जाएगी। ऐसी मान्यता है कि उपासना करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और जातक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। अगर आप भी सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सूर्य स्तुति और स्तोत्र का पाठ करें। इसका पाठ करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

।।सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम्।।

सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि: ।

गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर: ।।

पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम ।

सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च ।।

इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर: ।

ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम: ।।

वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति: ।

धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन: ।।

कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय: ।

कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण: ।।

संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु: ।

पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन: ।।

कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद: ।

वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोsरिहा ।।

भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत: ।

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स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत: ।।

अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख: ।

जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता ।।

मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक: ।

धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत: ।।

द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह: ।

स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम ।।

देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख: ।

चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित: ।।

एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस: ।

नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा ।।

पंचांग के अनुसार, आज यानी 07 नवंबर को सूर्यास्त शाम को 05 बजकर 32 मिनट पर होगा वहीं, इसके अगले दिन यानी 08 नवंबर को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में सूर्य देव को अर्घ्य देने के व्रत का समापन होगा।

।।श्री सूर्य स्तुति।।

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।

त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।

विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।

वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान-मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।