Move to Jagran APP

Devshayani Ekadashi Parana 2023: ऐसे करें देवशयनी एकादशी व्रत का पारण, जानिए विधि और शुभ मुहूर्त

Devshayani Ekadashi Parana 2023 देवशयनी एकादशी व्रत जितना महत्वपूर्ण है उतना ही खास इस व्रत का पारण भी है। देवशयनी एकादशी को पद्मा एकादशी आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं कि देवशयनी एकादशी व्रत का पारण क्यों और कैसे किया जाता है। साथ ही पारण करने का शुभ मुहूर्त भी जान लिजिए।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 30 Jun 2023 10:05 AM (IST)
Hero Image
Devshayani Ekadashi Parana 2023 देवशयनी एकादशी व्रत के पारण की विधि।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Devshayani Ekadashi Paran 2023: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल प्रारम्भ हो जाता है इसीलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। देवशयनी एकादशी के चार माह के बाद भगवान विष्णु प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागते हैं।

क्यों जरूरी है पारण

एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी होता है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

पारण का शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 30 जून 2023 को दोपहर 01 बजकर 48 मिनट पर शाम 06 बजकर 36 मिनट पर करने का शुभ मुहूर्त है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद ही किया जाता है. इसमें द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले व्रत खोल लेना चाहिए। द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना भी पाप करने के समान होता है।

जानिए पारण की विधि

भगवान विष्णु को तुलसी दल अति प्रिय हैं। इसलिए बिना तुलसी के भगवान विष्णु कोई भोग स्वीकार नहीं करते। ऐसे में यह जरूरी है कि पारण के समय तुलसीदल को आप मुंह में रखकर पारण करें। दे‌वशयनी एकादशी पारण के समय आंवला खाकर और पूजा में चढ़ाए प्रसाद को ग्रहण कर व्रत संपन्न करना चाहिए। एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही होती है। लेकिन एकादशी व्रत में चावल जरुर खाने चाहिए। देवशयनी एकादशी व्रत पारण में सात्विक भोजन ही करना चाहिए। भोजन गाय के घी से बना होना चाहिए।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी होता है।