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Dhumavati Jayanti 2022: धूमावती जयंती आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और स्तुति

Dhumavati Jayanti 2022 धूमावती जयंती के दिन मां धूमावती की पूजा करने से रोग दोष दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही मां की कृपा से संतान और सुहाग सलामत रहता है। जानिए मां धूमावती की पूजा विधि मुहूर्त और स्तुति

By Shivani SinghEdited By: Updated: Wed, 08 Jun 2022 08:44 AM (IST)
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Dhumavati Jayanti 2022: धूमावती जयंती आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि
नई दिल्ली, Dhumavati Jayanti 2022: पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां पार्वती के स्वरुप मां धूमावती की पूजा करने का विधान है। माता पार्वती का धूमावती स्वरूप विधवा का रूप है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को निगल लिया था जिसके कारण धूमावती स्वरूप सामने आया। इसलिए सुहागिन महिलाओं को इस व्रत को नहीं करना चाहिए। जानिए धूमावती जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और आरती।

Dhumavati Jayanti 2022: जानिए क्यों सुहागिन महिलाओं को नहीं करना चाहिए मां धूमावती के दर्शन

धूमावती जयंती शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी तिथि का प्रारंभ: आज सुबह 07 बजकर 54 मिनट से शुरू

ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी तिथि का समापन: 08 जून, बुधवार, सुबह 08 बजकर 30 मिनट पर

सिद्धि योग: 8 जून सुबह 4 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 9 जून सुबह 3 बजकर 26 मिनट तक

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र- 8 जून को सुबह 3 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 9 जून सुबह 4 बजकर 31 मिनट तक

धूमावती जयंती पूजा विधि

  • आज मां धूमावती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
  • मां पार्वती के स्वरूप धूमावती को जल, फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि अर्पित करें।
  • अब मां को मिठाई या अपनी श्रद्धा के अनुसार भोग लगा दें।
  • अब घी का दीपक और धूप जला दें।
  • मां धूमावती स्तोत्र और कथा का पाठ कर लें।
  • अंत में विधिवत तरीके से मां की आरती कर लें।
  • भूल चूक के लिए माफी मांगते हुए मां से आशीर्वाद लें।
धूमावती देवी की स्तुति

विवर्णा चंचला कृष्णा दीर्घा च मलिनाम्बरा,

विमुक्त कुंतला रूक्षा विधवा विरलद्विजा,

काकध्वजरथारूढा विलम्बित पयोधरा,

सूर्पहस्तातिरुक्षाक्षी धृतहस्ता वरान्विता,

प्रवृद्वघोणा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा,

क्षुत्पिपासार्दिता नित्यं भयदा काल्हास्पदा |

धूमावती देवी कवच

॥ सौभाग्यदात्री धूमावती कवचम् ॥

धूमावती मुखं पातु धूं धूं स्वाहास्वरूपिणी ।

ललाटे विजया पातु मालिनी नित्यसुन्दरी ॥1॥

कल्याणी ह्रदयपातु हसरीं नाभि देशके ।

सर्वांग पातु देवेशी निष्कला भगमालिना ॥2॥

सुपुण्यं कवचं दिव्यं यः पठेदभक्ति संयुतः ।

सौभाग्यमतुलं प्राप्य जाते देविपुरं ययौ ॥3॥

॥ श्री सौभाग्यधूमावतीकल्पोक्त धूमावतीकवचम् ॥

॥ धूमावती कवचम् ॥

Pic Credit- Instagram/_shiv_shakti_10

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'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'