Diwali 2024: दीवाली पूजा में जरूर करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, जीवन होगा खुशहाल
सनातन धर्म में दीवाली (Diwali 2024) के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि दीवाली पूजा के दौरान अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, देशभर में 31 अक्टूबर को दीवाली के पर्व को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त के दौरान उपासना करने से जातक को जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। साथ ही आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो दीवाली पूजा के समय सच्चे मन से अष्टलक्ष्मी स्तोत्र (Ashtalakshmi Stotram Lyrics) का पाठ करें। मान्यता है कि इसका पाठ करने से जातक की तिजोरी धन से भरी रहती है और जीवन खुशहाल होता है। आइए पढ़ते हैं अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ।
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॥ अष्टलक्ष्मी स्तोत्र ॥
॥ आदिलक्ष्मि ॥सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,चन्द्र सहोदरि हेममये
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि,मञ्जुळभाषिणि वेदनुते।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित,सद्गुण वर्षिणि शान्तियुतेजय जय हे मधुसूदन कामिनि,आदिलक्ष्मि सदा पालय माम्॥यह भी पढ़ें: Diwali 2024: कब और क्यों मनाई जाती है दीवाली? जानें इस पर्व से जुड़ी मान्यता
॥ धान्यलक्ष्मि ॥अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि,वैदिकरूपिणि वेदमयेक्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि,मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते।मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि,देवगणाश्रित पादयुतेजय जय हे मधुसूदन कामिनि,धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम्॥॥ धैर्यलक्ष्मि ॥जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि,मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमयेसुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद,ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते।
भवभयहारिणि पापविमोचनि,साधुजनाश्रित पादयुतेजय जय हे मधुसूधन कामिनि,धैर्यलक्ष्मी सदा पालय माम्॥॥ गजलक्ष्मि ॥जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि,सर्वफलप्रद शास्त्रमयेरधगज तुरगपदाति समावृत,परिजनमण्डित लोकनुते।हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित,तापनिवारिणि पादयुतेजय जय हे मधुसूदन कामिनि,गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम्॥॥ सन्तानलक्ष्मि ॥
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि,रागविवर्धिनि ज्ञानमयेगुणगणवारिधि लोकहितैषिणि,स्वरसप्त भूषित गाननुते।सकल सुरासुर देवमुनीश्वर,मानववन्दित पादयुतेजय जय हे मधुसूदन कामिनि,सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम्॥॥ विजयलक्ष्मि ॥जय कमलासनि सद्गतिदायिनि,ज्ञानविकासिनि गानमयेअनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर,भूषित वासित वाद्यनुते।कनकधरास्तुति वैभव वन्दित,शङ्कर देशिक मान्य पदे
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विजयलक्ष्मी सदा पालय माम्॥॥ विद्यालक्ष्मि ॥प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि,शोकविनाशिनि रत्नमयेमणिमयभूषित कर्णविभूषण,शान्तिसमावृत हास्यमुखे।नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि,कामित फलप्रद हस्तयुतेजय जय हे मधुसूदन कामिनि,विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्॥॥ धनलक्ष्मि ॥धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि-धिंधिमि,दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम,शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते।वेदपूराणेतिहास सुपूजित,वैदिकमार्ग प्रदर्शयुतेजय जय हे मधुसूदन कामिनि,धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम्॥