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Maa Siddhidatri: आज पूजा के समय करें मां सिद्धिदात्री की आरती और स्तुति, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन जगत जनना आदिशक्ति मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही साधक सिद्धि प्राप्ति हेतु मां के निमित्त व्रत रखते हैं। महानवमी तिथि पर कन्या पूजन का विधान है। कन्या पूजन के पश्चात ही नवरात्रि की पूजा पूर्ण मानी जाती है। इसके लिए व्रती आज के दिन कन्या पूजन भी करती हैं। मां सिद्धिदात्री अष्ट सिद्धियों का संपूर्ण स्वरूप हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 27 Jun 2023 07:00 AM (IST)
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Maa Siddhidatri: आज पूजा के समय करें मां सिद्धिदात्री की आरती और स्तुति, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Maa Siddhidatri: आज आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की महानवमी है। गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन जगत जनना आदिशक्ति मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही साधक सिद्धि प्राप्ति हेतु मां के निमित्त व्रत रखते हैं। महानवमी तिथि पर कन्या पूजन का विधान है। कन्या पूजन के पश्चात ही नवरात्रि की पूजा पूर्ण मानी जाती है। इसके लिए व्रती आज के दिन कन्या पूजन भी करती हैं। मां सिद्धिदात्री अष्ट सिद्धियों का संपूर्ण स्वरूप हैं। अतः मां सिद्धिदात्री की पूजा-उपासना करने वाले साधकों को सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अगर आप भी मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आज पूजा के समय शक्ति चालीसा, मां सिद्धिदात्री की आरती और स्तुति अवश्य करें। आइए, आरती और स्तुति करें-

माँ सिद्धिदात्री देवी स्तोत्र

वन्दे वांछितमनरोरार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

कमलस्थिताचतुर्भुजासिद्धि यशस्वनीम्॥

स्वर्णावर्णानिर्वाणचक्रस्थितानवम् दुर्गा त्रिनेत्राम।

शंख, चक्र, गदा पदमधरा सिद्धिदात्रीभजेम्॥

पटाम्बरपरिधानांसुहास्यानानालंकारभूषिताम्।

मंजीर, हार केयूर, किंकिणिरत्नकुण्डलमण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदनापल्लवाधराकांत कपोलापीनपयोधराम्।

कमनीयांलावण्यांक्षीणकटिंनिम्ननाभिंनितम्बनीम्॥

कंचनाभा शंखचक्रगदामधरामुकुटोज्वलां।

स्मेरमुखीशिवपत्नीसिद्धिदात्रीनमोअस्तुते॥

पटाम्बरपरिधानांनानालंकारभूषितां।

नलिनस्थितांपलिनाक्षींसिद्धिदात्रीनमोअस्तुते॥

परमानंदमयीदेवि परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति,परमभक्तिसिद्धिदात्रीनमोअस्तुते॥

विश्वकतींविश्वभर्तीविश्वहतींविश्वप्रीता।

विश्व चताविश्वतीतासिद्धिदात्रीनमोअस्तुते॥

भुक्तिमुक्तिकारणीभक्तकष्टनिवारिणी।

भवसागर तारिणी सिद्धिदात्रीनमोअस्तुते।।

धर्माथकामप्रदायिनीमहामोह विनाशिनी।

मोक्षदायिनीसिद्धिदात्रीसिद्धिदात्रीनमोअस्तुते॥

माता सिद्धिदात्री देवी कवच

ओंकार: पातुशीर्षोमां, ऐं बीजंमां हृदयो ।

हीं बीजंसदापातुनभोगृहोचपादयो ॥

ललाट कर्णोश्रींबीजंपातुक्लींबीजंमां नेत्र घ्राणो ।

कपोल चिबुकोहसौ:पातुजगत्प्रसूत्यैमां सर्व वदनो ॥

सिद्धिदात्री माता की आरती

जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।

तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।

तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥

तू सब काज उसके करती है पूरे।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।