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Mangalvar Vrat Ki Aarti: मंगलवार के दिन पूजा के समय करें ये आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

Mangalvar Vrat Ki Aarti बल बुद्धि और विद्या के दाता हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। ज्योतिष भी कुंडली में मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी मंगल देव की कृपा दृष्टि पाना चाहते हैं तो मंगल आरती अवश्य करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 29 Aug 2023 07:00 AM (IST)
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Mangalvar Vrat Ki Aarti: मंगलवार के दिन पूजा के समय करें ये आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Mangalvar Vrat Ki Aarti: मंगलवार का दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन बजरंगबली की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि हेतु हनुमान जी के निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि बल, बुद्धि और विद्या के दाता हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। ज्योतिष भी कुंडली में मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी मंगल देव की कृपा दृष्टि पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन पूजा के समय मंगल व्रत आरती अवश्य करें। आइए, हनुमान जी की आरती करें-

मंगलवार व्रत आरती

मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता,

मंगल मंगल देव अनन्ता ॥

हाथ वज्र और ध्वजा विराजे,

कांधे मूंज जनेउ साजे ॥

शंकर सुवन केसरी नन्दन,

तेज प्रताप महा जग वन्दन ॥

लाल लंगोट लाल दोउ नयना,

पर्वत सम फारत है सेना ॥

काल अकाल युद्ध किलकारी,

देश उजारत क्रुद्ध अपारी ॥

राम दूत अतुलित बल धामा,

अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ॥

महावीर विक्रम बजरंगी,

कुमति निवार सुमति के संगी ॥

भूमि पुत्र कंचन बरसावे,

राजपाट पुर देश दिवाव ॥

शत्रुन काट-काट महिं डारे,

बन्धन व्याधि विपत्ति निवारें ॥

आपन तेज सम्हारो आपे,

तीनो लोक हांक ते कांपै ॥

सब सुख लहैं तुम्हारी शरणा,

तुम रक्षक काहू को डरना ॥

तुम्हरे भजन सकल संसारा,

दया करो सुख दृष्टि अपारा ॥

रामदण्ड कालहु को दण्डा,

तुमरे परस होत सब खण्डा ॥

पवन पुत्र धरती के पूता,

दो मिल काज करो अवधूता ॥

हर प्राणी शरणागत आये,

चरण कमल में शीश नवाये ॥

रोग शोक बहुत विपत्ति घिराने,

दरिद्र दुःख बन्धन प्रकटाने ॥

तुम तज और न मेटन हारा,

दोउ तुम हो महावीर अपारा ॥

दारिद्र दहन ऋण त्रासा,

करो रोग दुःस्वप्न विनाशा ॥

शत्रुन करो चरन के चेरे,

तुम स्वामी हम सेवक तेरे ॥

विपत्ति हरन मंगल देवा,

अंगीकार करो यह सेवा ॥

मुदित भक्त विनती यह मोरी,

देउ महाधन लाख करोरी ॥

श्री मंगल जी की आरती,

हनुमत सहितासु गाई ॥

होइ मनोरथ सिद्ध जब,

अन्त विष्णुपुर जाई ॥

डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'