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Vishnu Ji Ki Aarti: आज पूजा के समय करें भगवान विष्णु की आरती, सभी दुखों से मिलेगी मुक्ति

ज्योतिषियों की मानें तो गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा-अर्चना करने से कुंडली में गुरु मजबूत होता है। गुरु मजबूत रहने से पद प्रतिष्ठा और मान-सम्मान मिलता है। वहीं अविवाहित युवतियों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। नवविवाहित स्त्रियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। अगर आप भी जीवन में सफलता पाना चाहते हैं तो पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 20 Jul 2023 07:00 AM (IST)
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Vishnu Ji Ki Aarti: आज पूजा के समय करें भगवान विष्णु की आरती, सभी दुखों से मिलेगी मुक्ति

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Vishnu Ji Ki Aarti: सनातन धर्म में गुरुवार के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही देवगुरु बृहस्पति के निमित्त गुरुवार का व्रत रखा जाता है। विवाहित स्त्रियां और अविवाहित लड़कियां गुरुवार का व्रत रखती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा-अर्चना करने से कुंडली में गुरु मजबूत होता है। गुरु मजबूत रहने से पद प्रतिष्ठा और मान-सम्मान मिलता है। वहीं, अविवाहित युवतियों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। नवविवाहित स्त्रियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। अतः श्रद्धा भाव से गुरुवार के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। अगर आप भी जीवन में मन मुताबिक सफलता पाना चाहते हैं, तो आज पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। आइए, भगवान विष्णु जी की आरती करें-

भगवान विष्णु जी की आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'