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Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्र के तीसरे दिन होगी मां चंद्रघंटा की साधना, नोट करें पूजा विधि, मंत्र एवं भोग

धार्मिक मत है कि जगत की देवी मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्रती को बल बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रती के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है। अतः गुप्त नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की विधि पूर्वक पूजा की जाती है। मां अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 07 Jul 2024 04:13 PM (IST)
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Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्र के तीसरे दिन बन रहे हैं ये शुभ योग

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Gupt Navratri 2024: आषाढ़ गुप्त नवरात्र का तीसरा दिन जगत जननी मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। गुप्त नवरात्र के दौरान दस महाविद्याओं की देवियों की भी उपासना की जाती है। धार्मिक मत है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी दुख एवं कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में मंगल का आगमन होता है। अगर आप भी मां चंद्रघंटा की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो गुप्त नवरात्र के तीसरे दिन इस विधि से मां की पूजा करें। साथ ही प्रसाद में मां चंद्रघंटा को ये चीजें अर्पित करें।

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पूजा विधि (Ashadha Gupt Navratri 2024 Puja Vidhi)

साधक आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ब्रह्म बेला में उठें। इस समय मां चंद्रघंटा को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर लाल रंग का वस्त्र धारण करें। अब सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, पूजा की चौकी पर नारंगी रंग का वस्त्र बिछाकर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या छवि स्थापित करें। इस समय मां चंद्रघंटा का आह्वान निम्न मंत्र से करें।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अब पंचोपचार कर मां चंद्रघंटा को फल, कमल का फूल, संतरा, आम, हल्दी, सफेद रंग की मिठाई आदि चीजें अर्पित करें। प्रसाद में मां दुर्गा को अखंडित चावल, केसर, गुड़, पंचमेवे से निर्मित खीर का भोग लगाएं। इस समय दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर मां चंद्रघंटा से सुख-समृद्धि की कामना करें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार कर सकते हैं। साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रख सकते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।