Dussehra 2023: विजयादशमी पर करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप और आरती, पूरी होगी मनचाही मुराद
धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि त्रेता युग में लंका नरेश रावण ने अतुल बल के अहंकार में चूर होकर माता सीता का हरण कर लिया। उस समय भगवान श्रीराम ने सुग्रीव सेना की सहायता से लंका पर चढ़ाई की। इस दौरान भगवान श्रीराम और अहंकारी रावण के मध्य भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में लंका नरेश रावण की हार हुई।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Dussehra 2023: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा देशभर में आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि त्रेता युग में लंका नरेश रावण ने अतुल बल के अहंकार में चूर होकर माता सीता का हरण कर लिया। उस समय भगवान श्रीराम ने सुग्रीव सेना की सहायता से लंका पर चढ़ाई की। इस दौरान भगवान श्रीराम और अहंकारी रावण के मध्य भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में लंका नरेश रावण की हार हुई। इसी युद्ध में रावण को वीरगति प्राप्त हुई। अतः हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर विजयादशमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है। अगर आप भी भगवान श्रीराम की कृपा और आशीर्वाद के भागी बनना चाहते हैं, तो आज इन चमत्कारी मंत्रों का जाप और आरती अवश्य करें।
राम तारक मंत्र
ॐ जानकीकांत तारक रां रामाय नमः॥
सफलता प्राप्ति श्री राम मंत्र
ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।
ह्रीं राम ह्रीं राम ।
श्रीं राम श्रीं राम ।
क्लीं राम क्लीं राम।
फ़ट् राम फ़ट्।
रामाय नमः।
श्री रामचन्द्राय नमः।
श्री राम शरणं मम्।
ॐ रामाय हुँ फ़ट् स्वाहा।
श्री राम जय राम जय जय राम।
राम राम राम राम रामाय राम ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नम :
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राम ध्यान मंत्र
ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम ,
लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !
श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ,
रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !
श्री राम गायत्री मंत्र
ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥
राम मूल मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं रां रामाय नमः॥
श्री राम मंत्र
ॐ रां रामय नमः। ॐ रामाय नमः।
दशाक्षर श्री राम मंत्र
हुं जानकी वल्लभाय स्वाहा ।
कार्य में सफलता हेतु मंत्र
ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।
ह्रीं राम ह्रीं राम ।
श्रीं राम श्रीं राम ।
रामाय नमः।
रां रामाय नमः
सौभाग्य प्राप्ति हेतु मंत्र
-श्री राम जय राम जय जय राम ।
श्री रामचन्द्राय नमः।
-राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने ।।
श्रीराम जी की आरती
हरि हरि दुष्ट दलन सीतापति जी की ।।
पहली आरती पुष्पन की माला ।
काली नागनाथ लाए गोपाला ।।
दूसरी आरती देवकी नंदन ।
भक्त उभारण कंस निकंदन ।।
तीसरी आरती त्रिभुवन मन मोहे ।
रतन सिंहासन सीताराम जी सोहे ।।
चौथी आरती चहुं युग पूजा ।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा ।।
पांचवी आरती राम को भावे ।
राम जी का यश नामदेव जी गावे।।
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