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Lord Ganesha Aarti: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की करें ये आरती, हर क्षेत्र में मिलेगी सफलता

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का पर्व आज मनाया जा रहा है। हिंदू पंचाग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि भगवान गणेश जी की आरती करने से पूजा सफल होती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही इंसान को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Wed, 28 Feb 2024 07:00 AM (IST)
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Lord Ganesha Aarti: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की करें ये आरती, हर क्षेत्र में मिलेगी सफलता
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Hanesha Aarti: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का पर्व आज मनाया जा रहा है। हिंदू पंचाग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। साथ ही भगवान गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन से आ रही बाधाएं दूर होती हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है। 

यदि आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संताप से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की पूजा करें। साथ ही भगवान गणेश जी की आरती करें। मान्यता है कि भगवान गणेश जी की आरती करने से पूजा सफल होती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही इंसान को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। आइए पढ़ते हैं, भगवान गणेश जी की प्रसिद्ध आरती।

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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 फरवरी को सुबह 01 बजकर 53 मिनट से होगी और 29 फरवरी को सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज यानी 28 फरवरी, बुधवार के दिन किया जाएगा।

॥श्री गणेश जी की आरती॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती (माता पार्वती के मंत्र), पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।