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Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी की पूजा में जरूर करें इन मंत्रों का जाप, गणेश जी हर लेंगे सभी विघ्न

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष में ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में की चतुर्थी तिथि पर एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस तिथि को गणेश जी की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। ऐसे में यदि आप पूजा को दौरान गणेश जी के मंत्रों का जाप करते हैं तो इससे आपको सुख-सृमद्धि का आशीर्वाद मिल सकता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 23 May 2024 06:02 PM (IST)
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Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 संकष्टी चतुर्थी की पूजा में जरूर करें इन मंत्रों का जाप।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ekdant Sankashti Chaturthi 2024:  हिंदू मान्यातओं के अनुसार, भगवान गणेश को बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है। हर महीने में चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की विशेष विधि-विधान से पूजा की जाती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है तथा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी की कृपा प्राप्ति के मंत्र।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को दोपहर 04 बजकर 36 मिनट से शुरू हो रही है। साथ ही, इस तिथि का समापन 27 मई को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत 26 मई, रविवार के दिन किया जाएगा।

गणेश जी के मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

शुभ लाभ गणेश मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

भगवान गणेश के मंत्र

'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

धन लाभ हेतु मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

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संकट नाशक मंत्र

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।