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Falgun Purnima 2024: फाल्गुन पूर्णिमा पर श्री हरि को ऐसे करें प्रसन्न, मनचाही मनोकामनाएं होंगी पूरी

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 25 मार्च को है। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा-व्रत और स्नान-दान करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी पाप खत्म हो जाते हैं। पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी जी की पूजा के लिए समर्पित है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 24 Mar 2024 06:00 PM (IST)
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Falgun Purnima 2024: फाल्गुन पूर्णिमा पर श्री हरि को ऐसे करें प्रसन्न, मनचाही मनोकामनाएं होंगी पूरी
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Vishnu Aarti Lyrics: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 25 मार्च को है। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा-व्रत और स्नान-दान करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी पाप खत्म हो जाते हैं। पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी जी की पूजा के लिए समर्पित है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी की आरती न करने से पूजा सफल नहीं होती है। इसलिए इस दिन सच्चे मन से श्री हरि और मां लक्ष्मी जी की आरती करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और इंसान की मनचाही मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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भगवान विष्णु जी की आरती (Lord Vishnu Aarti Lyrics )

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

भगवान विष्णु की आरती

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

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