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Ganga Snan Vidhi: इस विधि से गंगा में स्नान करने का मिलेगा दोगुना फल, न करें ये गलतियां

कहा जाता है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद अगर उसकी अस्थियां गंगा में विसर्जित न की जाए तो मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। वहीं कुछ लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा भी रखते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 21 May 2023 09:47 AM (IST)
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Ganga Snan Vidhi: गंगा में स्नान करने की विधि।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Ganga Snan Vidhi: हिंदू धर्म में गंगा नदी को मां कहकर संबोधित किया जाता है। साथ ही गंगा को सबसे पवित्र नदी माना गया है। गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। माना जाता है कि गंगाजल कभी खराब नहीं होता। गंगा को हेमवती, जान्हवी, मंदाकिनी, अलकनंदा, त्रिपथगा आदि नामों से भी जाना जाता है।

मां गंगा पृथ्वी पर कैसे अवतरित हुई

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भागीरथ ने अपने पिता के उद्धार के लिए कठिन तपस्या करके ब्रह्म देव को प्रसन्न किया। उसने गंगा को पृथ्वी पर लाने का वरदान मांगा। लेकिन गंगा का वेग बहुत तेज था जिसे केवल भगवान शिव ही सहन कर सकते थे। इसलिए भागीरथ ने कठोर तप से भगवान शिव को प्रसन्न किया। जिसके बाद भगवान शिव ने अपनी जटा से गंगा को सात धाराओं में परिवर्तित कर दिया। मां गंगा शंकर जी की जटाओं से होते हुए पृथ्वी पर अवतरित हुईं और महाराज सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ।

गंगा में स्नान की सही विधि क्या है।

अमावस्या, पूर्णिमा और गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। गंगा स्नान करते समय सच्चे मन से मां गंगा का ध्यान करें। इसके बाद उन्हें अघ्र्य, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, शीतल जल, वस्त्र, आभूषण, माला, चंदन, आचमन और सुंदर शैय्या अर्पण करने चाहिए। फिर दोनों हाथ जोड़कर भगवती गंगा के पापहारी और पुण्यप्रद श्लोक से स्तुति करनी चाहिये। गंगा स्नान के समय इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

'ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा'

न करें ये गलती

गंगा स्नान से पहले सामान्य जल से अच्छे से नहा लें। गंगा नदी में सिर्फ डुबकी लगाएं। गंगा नदी में मनुष्य की अशुद्धि नहीं जानी चाहिए। इसलिए स्नान करते समय शरीर को हाथों से न रगड़ें। गंगा स्नान करने के बाद शरीर को कपड़े से नहीं पोंछना चाहिए। जल को शरीर पर ही सूखने दें। मृत्यु या जन्म सूतक के समय भी गंगा स्नान किया जा सकता है, लेकिन महिलाओं को मासिक धर्म की स्थिति में गंगा स्नान नहीं करना चाहिए। घर पर नहाने की स्थिति में गंगाजल की कुछ बूंदे या कम मात्रा ही नहाने के पानी में मिलाकर नहाएं।

By- Suman Saini

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