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Goga Navami 2022: श्री गोगा नवमी आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Goga Navami 2022 गोगा नवमी के दिन गोगादेव यानी जाहरवीर का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके साथ ही इस दिन नागों की पूजा करने का भी विधान है। जानिए गोगा नवमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि और कथा।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Sat, 20 Aug 2022 10:25 AM (IST)
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Goga Navami 2022: श्री गोगा नवमी आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
नई दिल्ली, Shree Goga Navami 2022: भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की नवमी वाल्मीकि समाज का मुख्य त्योहार श्री गोगा नवमी का पर्व मनाया जाता है। गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से शुरू हो जाती है और पूरे 9 दिनों तक तक यह पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही नवमी तिथि तक गोगा देव की पूजा की जाती है। इसी कारण इसे गोगा नवमी के नाम से जानते हैं। जानिए गोगा नवमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

गोगा नवमी के दिन गोगादेव यानी जाहरवीर का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके साथ ही इस दिन नागों की पूजा करने का भी विधान है।

कहां कहां मनाया जाता है ये पर्व

गोगा नवमी का पर्व कई राज्यों में मनाया जाता है। यह पर्व मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि में मनाया जाता है। इसके साथ ही राजस्थान का यह लोकपर्व है, वहां पर इसे गुग्गा नवमी के नाम से जाना जाता है।

गोगा नवमी पूजा विधि

  • गोगा नवमी के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें।
  • गोगा जी की मिट्टी से मूर्ति बना लें या फिर मार्केट से गोगा देव की मिट्टी की मूर्ति ले आएं।
  • गोगा देव को चावल, रोली, वस्त्र आदि पहना दें।
  • गोगा देव को भोग में खीर, चूरमा और गुलगुले खिला दें और घोड़े के सामने दाल रख दें।
  • इसके साथ ही रक्षाबंधन पर बहनों ने भाईयों की कलाई में जो रक्षासूत्र बांधा था उसे खोलकर गोगा देव को अर्पित दें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
  • अब गोगा देव की विधिवत पूजा करने के बाद आरती आदि कर लें।
गोगा देव के जन्म की कथा

मान्यताओं के अनुसार, गोगा जी की मां बाछल देवी की कोई संतान नहीं थी। काफी प्रयास के बाद भी जब उन्हें संतान नहीं हो रही थी ऐसे में वह काफी निराश रहती थी। तब एक दिन गोगामेड़ी में गुरु गोरखनाथ तपस्या करने आए। बाछलदेवी गुरु गोरखनाथ के पास गई और उन्हें अपनी परेशानी बताई। इसके बाद गोरखनाथ ने उन्हें फल देते पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया। इसके साथ ही गोरखनाथ ने कहा कि तेरा पुत्र वीर तथा नागों को वश में करने वाला तथा सिद्धों का शिरोमणि होगा। इस आशीर्वाद से बाछल देवी को पुत्र हुआ तो उन्होंने उसका नाम गुग्गा रखा। बाद में इन्हें गोगा देव के नाम से जाना जाने लगा। जो आगे चलकर गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य बने थे।

Pic Credit- Instagram/bhupendra___ravatka

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