Govardhan Puja 2023: एक ही दिन की जाती है गोवर्धन और विश्वकर्मा पूजा, जानिए महत्व और विधि
Vishwakarma Puja 2023 हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है। मुख्यतः ये पर्व दिवाली के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस साल 14 नवंबर शुक्रवार के दिन गोवर्धन पूजा की जाएगी। इस दिन विश्वकर्मा पूजा भी की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा की विधि और महत्व।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 14 Nov 2023 09:59 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Govardhan Puja 2023: गोवर्धन पूजा के दिन मुख्यतः गोवर्धन पर्वत के लिए समर्पित है। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण कर ब्रजवासियों को इंद्र की घनघोर वर्षा से बचाया था। साथ ही इस दिन देवताओं का वास्तुकार कहे जाने वाले विश्वकर्मा भगवान की भी पूजा की जाती है।
गोवर्धन के दिन विश्वकर्मा पूजा
मुख्य रूप से विश्वकर्मा पूजा साल में दो बार की जाती है। एक विश्वकर्मा जयंती के दिन और दूसरी गोवर्धन पूजा के दिन। गोवर्धन पूजा और विश्वकर्मा पूजा एक ही दिन करना बहुत शुभ माना गया है। शिल्पकार व श्रमिक वर्ग गोवर्धन के दिन ही विश्वकर्मा का पूजन करते हैं और व्यापार-व्यवसाय में उन्नति की कामना करते हैं। अपने घर- व्यवसाय के विकास व वृद्धि की कामना से दीप जलाए जाते हैं।
भगवान विश्वकर्मा को वास्तु कला के साथ-साथ यांत्रिक विज्ञान का भी जनक कहा जाता है। इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दिन फैक्ट्री आदि में काम करने वाले मजदूर, मिस्त्री, कारीगर, शिल्पकार और मशीनों पर काम करने वाले लोग, गोवर्धन पूजा के दिन मशीनों और औजारों आदि की साफ सफाई करते है। साथ ही इस दिन विश्वकर्मा जी के साथ-साथ साधक द्वारा अपनी मशीनों और औजारों की भी पूजा की है।
विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma Puja vidhi)
भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सुबह का समय सबसे उत्तम माना गया है, इसलिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पूजा के स्थान की अच्छे से सफाई करने के बाद एक चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके साथ ही जल से भरा कलश, फूल, धूप, सुपारी, अक्षत, चंदन, पीली सरसों, आदि सामग्री भी पूजा स्थान पर रख लें।
पूजा के दौरान विश्वकर्मा जी और अपनी मशीनों को माला पहनाएं। इसके बाद सभी मशीन व औजार आदि पर रक्षा सूत्र बांधे। इसके बाद भगवान को फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं। और अंत में साथ में पूरे संस्थान, मशीन और औजार की आरती करें। पूजा संपन्न होने के बाद भगवान विश्वकर्मा से सफलता की कामना करें। उसके बाद प्रसाद वितरित करें।
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