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Guruvar Vrat: गुरुवार का व्रत रखने वाले ऐसे करें बृहस्पति देव की पूजा, साथ ही जानिए आरती

Guruvar Vrat हिंदू पंचांग के अनुसार बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु और देवताओं के गुरू बृहस्पति देव को समर्पित है। इस दिन व्रत रखकर पूजन करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। जानिए बृहस्पति देव की पूजा विधि और आरती।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Thu, 28 Apr 2022 06:23 AM (IST)
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Guruvar Vrat Puja: गुरुवार की पूजा विधि और आरती

नई दिल्ली, Guruvar Vrat Puja: गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। इस दिन बृहस्पति देव के रूप में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि गुरुवार के दिन व्रत करने के साथ पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अगर किसी जातक के विवाह में किसी भी तरह की बाधा आ रही है तो बृहस्पति देव की पूजा और व्रत करने से लाभ मिलता है। बृहस्पति देव को बुद्धि का कारण माना जाता है। इसके अलावा गुरुवार के दिव केले के पौधा का पूजन करना शुभ माना जाता है। जानिए बृहस्पति देव की पूजा विधि, आरती और महत्व।अग्नि पुराण के अनुसार माना जाता है कि 7 गुरुवार व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

गुरुवार व्रत की पूजा विधि

गुरुवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके पीले रंग के वस्त्र धारण कर लेँ। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान रखते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान बृहस्पति देव की विधि-विधान से पूजा करें। उन्हें पीले फूल, पीले चंदन के साथ पीले रंग का भोग लगाएं। आप चाहे तो भोग में चने की दाल और गुड़ ले सकते हैं। इसके बाद धूप, दीप आदि जलाकर बृहस्पति देव के व्रत कथा का पाठ कर लें। इसके बाद विधिवत तरीके से आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें और केले की जड़ में जल अर्पण करने के साथ भोग आदि लगाएं। फिर दिनभर फलाहार व्रत रखें और शाम को पीले रंग का भोजन ग्रहण कर लें।

बृहस्पति देव की आरती

ॐ जय बृहस्पति देवा

स्वामी जय बृहस्पति देवा

छिन- छिन भोग लगाऊँ

छिन- छिन भोग लगाऊँ

कदली फल मेवा

ॐ जय बृहस्पति देवा

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी

स्वामी तुम अंतर्यामी

जगतपिता जगदीश्वर

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी

ॐ जय बृहस्पति देवा

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता

स्वामी सब पातक हर्ता

सकल मनोरथ दायक

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता

ॐ जय बृहस्पति देवा

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े

स्वामी जो जन शरण पड़े

प्रभु प्रकट तब होकर

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े

ॐ जय बृहस्पति देवादीनदयाल दयानिधि भक्तन हितकारी

स्वामी भक्तन हितकारी

पाप दोष सब हर्ता

पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी

ॐ जय बृहस्पति देवा

सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी

स्वामी सब संशय हारी

विषय विकार मिटाओ

विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी

ॐ जय बृहस्पति देवा

जो कोई तुम्हरी आरती, प्रेम सहित गावे

स्वामी प्रेम सहित गावे

जेष्ठानन्द आनन्दकर

जेष्ठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावै

ॐ जय बृहस्पति देवा

ॐ जय बृहस्पति देवा

स्वामी जय बृहस्पति देवा

छिन- छिन भोग लगाऊँ

छिन- छिन भोग लगाऊँ

कदली फल मेवा

ॐ जय बृहस्पति देवा

बोलिए विष्णु भगवान की, जय

बोलो बृहस्पति देव की, जय

Pic Credit- instagram/_jadevine15_

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