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Lord Vishnu: गुरुवार को पूजा के दौरान करें इस स्तुति का पाठ, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता

अगर आप जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो गुरुवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद सच्चे मन से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही विष्णु स्तुति का पाठ कर आरती करें। माना जाता है कि ऐसा करने से जातक को धन की प्राप्ति होती है। साथ ही प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Thu, 04 Jul 2024 06:30 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 06:30 AM (IST)
Lord Vishnu: गुरुवार को पूजा के दौरान करें इस स्तुति का पाठ, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vishnu Stuti in Hindi: सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी-न-किसी देवी-देवता की पूजा के लिए समर्पित है। ठीक इसी प्रकार गुरुवार के दिन श्री हरि की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मत है कि विधिपूर्वक भगवान विष्णु की उपासना करने घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है और इंसान को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

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॥ विष्णु स्तुति॥

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्,

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।

॥श्री नारायण स्तोत्र॥

नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥

करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥

घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा॥

यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥

पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना॥

मंजुलगुंजा गुं भूषा मायामानुषवेषा॥

राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका॥

मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा॥

बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा॥

वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा॥

जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा॥

पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर॥

अधबकक्षयकंसारेकेशव कृष्ण मुरारे॥

हाटकनिभपीताम्बर अभयंकुरु मेमावर॥

दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा॥

गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा॥

शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा॥

विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा॥

ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा॥

जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला॥

दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा॥

मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा॥

वालिविनिग्रहशौर्यावरसुग्रीवहितार्या॥

मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर॥

जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा॥

ताटीमददलनाढ्या नटगुणगु विविधधनाढ्या॥

गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन॥

स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा॥

अचलोद्घृतिद्घृञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर॥

नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा॥

भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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