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Guruwar Puja: गुरुवार को इस विधि से करें विष्णु चालीसा का पाठ, करियर में जल्द मिलेगी सफलता

भगवान विष्णु को गुरुवार का दिन अति प्रिय है। इस खास अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इससे साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। अगर आप जीवन में किसी समस्या का सामना कर रहे हैं तो गुरुवार के दिन सच्चे मन से श्रीहरि की उपासना करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें। इससे साधक के सभी परेशानियां दूर होंगी।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Thu, 05 Sep 2024 06:30 AM (IST)
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Lord Vishnu: विष्णु चालीसा के पाठ से संकट होंगे दूर

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में गुरुवार (Guruwar Puja) के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक उपासना की जाती है। साथ ही प्रभु को फल, मिठाई और खीर समेत प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को भूत-प्रेत, पिशाच जैसी योनियों में जाने का भय नहीं रहता है। गुरुवार के दिन पूजा के दौरान विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) का पाठ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और करियर में सफलता प्राप्त होती है। आइए पढ़ते हैं विष्णु चालीसा।

इस विधि से करें विष्णु चालीसा का पाठ

  • गुरुवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त जल्दी उठें।
  • नहाने के बाद पीले वस्त्र धारण करें।
  • मंदिर की सफाई करें।
  • चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा को विराजमान करें।
  • चंदन और फूलमाला अर्पित करें।
  • दीपक जलाकर आरती कर विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  • अंत में भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

।।विष्णु चालीसा का पाठ।।

''दोहा''

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

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शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।

गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।

जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।

करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।

सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।

पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।

निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।