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Hanuman Jayanti 2023: चैत्र मास में कब है हनुमान जयंती? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Hanuman Jayanti 2023 चैत्र मास का शुभारंभ होने वाला है। ऐसे में इस पवित्र मास में कई व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं जिनका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक है हनुमान जयंती पर्व जिसे चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Mon, 27 Feb 2023 12:28 PM (IST)
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Hanuman Jayanti 2023: इस दिन मनाया जाएगा हनुमान जयंती पर्व।
नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Hanuman Jayanti 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान जयंती पर्व मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बजरंगबली भगवान शिव के 11वें अवतार हैं और इन्हें कलयुग का देवता भी कहा जाता है।

हनुमान जयंती के दिन पूजा-पाठ करने से साधक को बल और बुद्धि की प्राप्ति होती है और उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही हनुमान अपने भक्त की सदैव रक्षा करते हैं। अब जब चैत्र मास शुरू होने वाला है, ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि इस वर्ष हनुमान जयंती पर्व किस दिन मनाया जाएगा। आए जानते हैं हनुमान जयंती पर्व की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

हनुमान जयंती 2023 कब है? (Hanuman Jayanti 2023 Date)

हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 05 अप्रैल 2023 को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 06 अप्रैल 2023 को सुबह 08 बजकर 34 मिनट पर हो जाएगा। उदया तिथि के अनुसार हनुमान जयंती पर्व 06 अप्रैल 2023, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। 

हनुमान जयंती महत्व (Hanuman Jayanti 2023 Importance)

शास्त्रों में बताया गया है कि हनुमान जयंती के दिन विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से साधक के सभी संकट दूर हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस विशेष दिन पर बजरंगबली को सिंदूर अर्पित करने से सभी कार्य सफल होते हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ हनुमान जयंती के दिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ का विशेष महत्व है। इनका पाठ करने से हनुमान जी जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों की झोली खुशियों से भर देते हैं।

हनुमान जयंती 2023 प्रभावशाली मंत्र (Hanuman Ji Mantra)

* आदिदेव नमस्तुभ्यं सप्तसप्ते दिवाकर। त्वं रवे तारय स्वास्मानस्मात्संसार सागरात।

* अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।

* मनोजवं मारुततुल्यवेगमं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।