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Hanuman ji Puja: हनुमान जी के किस स्वरूप से जुड़ी है क्या मान्यता, जानिए क्या है इनकी पूजा का महत्व

भारत के एक हिस्से में हनुमान जी के बालाजी स्वरूप को पूजा जाता है तो वहीं दूसरे हिस्से में पंचमुखी हनुमान जी पूजनीय हैं। माना जाता है कि इन सभी रूपों में हनुमान जी की पूजा करने का विशेष लाभ मिलता है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 13 Jun 2023 09:38 AM (IST)
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Hanuman ji Puja हनुमान जी के कितने स्वरूप हैं।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Hanuman ji Puja: सनातन धर्म में हनुमान जी सबसे ज्यादा पूजनीय देवताओं में से एक हैं। मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। भारत में हनुमान जी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। जिनका अपना-अपना महत्व है। आइए जानते हैं कि किस स्वरूप के साथ क्या मान्यता जुड़ी हुई है।

हनुमान ने क्यों लिया पंचमुखी अवतार

रामाणय के अनुसार, जब लंका युद्ध के समय जब रावण के भाई अहिरावण ने अपनी मायवी शक्ति से स्वयं भगवान श्री राम और लक्ष्मण को मूर्क्षित कर पाताल लोक लेकर चला गया था। जहां अहिरावण ने पांच दिशाओं में पांच दिए जला रखे थे। उसे वरदान था कि जब तक कोई इन पांचों दीपक को एक साथ नहीं बुझएगा, अहिरावण का वध नहीं होगा। अहिरावण की इसी माया को सामाप्त करने के लिए हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख किए पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया और पांचों दीपक को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध कर दिया। इसके फलस्वरूप भगवान राम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हुए।

हनुमान जी के भक्त स्वरूप का महत्व

हनुमान जी प्रभु श्री राम के परम भक्त हैं। हनुमान जी की यह भक्‍ती हमें आस्था रखने का सही मतलब सिखाती है। जो लोग इस स्वरूप की पूजा करते हैं, उन्हें कार्यों में सफलता पाने के लिए एकाग्रता और शक्ति प्राप्त होती है। लक्ष्यों को प्राप्त करने में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं।

सेवक के रूप में हनुमान जी का महत्व

हनुमान जी भक्त होने के साथ-साथ राम जी के परम सेवक भी थे। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी आज भी एक सेवक के तौर पर भगवान श्री राम की अयोध्‍या की निगरानी कर रहे हैं। इस स्वरूप की पूजा करने पर भक्त के मन में कार्य और रिश्तों के प्रति सेवा और समर्पण की भावना जागती है। सेवक हनुमान के स्वरूप में भगवान राम के चरणों में हनुमानजी बैठे हुए हैं और श्रीराम उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं।

वीर हनुमान का स्वरूप

हनुमानजी अपने साहस और पराक्रम से कई राक्षसों को नष्ट किया और श्रीराम के कई कामों को सिद्ध किया। वह अपने बल से पूरा पहाड़ उठा लाए थे और इसी बल के कारण पूरी लंका में आग लगा दी थी। बल, पराक्रम और साहस की प्राप्ति हनुमान जी के इस स्वरूप की उपासना की जाती है। वीर हनुमान स्वरूप की पूजा मात्र से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही इससे शत्रु भी पराजित होते हैं और भय दूर होता है।

इन लोगों को लगता है रुद्र हनुमान जी से डर

यह हनुमान जी का एक ऐसा स्‍वरूप है, जिसमें वह क्रोधित रूप में दिखाई देते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्र अवतार हैं। यानी कि शिव जी का अंश हैं। हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा नहीं की जाती है। यह रुद्र रूप आपको भयभीत कर सकता है। लेकिन ऐसा तब ही होगा, जब आपने जानबूझ कर कोई अपराध किया होगा।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'