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Hariyali Teej 2022: हरियाली तीज की पूजा के दौरान जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, तभी मिलेगा शिव-पार्वती का आशीर्वाद

Hariyali Teej 2022 Vrat Katha हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और विधिवत पूजा-पाठ करती हैं। जानिए हरितालिका तीज की संपूर्ण व्रत कथा।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Sun, 31 Jul 2022 08:44 AM (IST)
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Hariyali Teej 2022 Vrat Katha : हरियाली तीज व्रत कथा
 नई दिल्ली, Hariyali Teej 2022 Vrat Katha : हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए वो पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और विधिवत पूजा-पाठ करती हैं। इसके साथ ही हरियाली तीज व्रत कथा का पाठ करती हैं। इसके साथ ही कुंवारी कन्याएं भी मनभावन पति के लिए इस व्रत को रखती हैं।

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माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन माता पार्वती और शिवजी की आराधना सच्चे मन से करने से कामना जरूर पूर्ण होती है। अगर आप भी हरियाली तीज का व्रत इस बार रख रही हैं, तो इस व्रत कथा को जरूर पढ़ें। क्योंकि हरियाली तीज व्रत कथा के बिना व्रत पूरा नहीं माना जाता है। आइए जानते हैं संपूर्ण व्रत कथा।

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हरियाली तीज व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती ने हिमालय राज के घर माता पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में पाने की कामना कर ली थी। गुजरते समय के साथ जब माता पार्वती विवाह योग्य हो गई तो पिता हिमालय शादी के लिए योग्य वर तलाशने लगे थे। एक दिन नारद मुनि पर्वत राज हिमालय के पास गए और उनकी चिंता सुनकर उन्होंने योग्य वर के रूप में भगवान विष्णु का नाम सुझाया। हिमालय राज को भी भगवान विष्णु दामाद के रूप में पसंद आए और उन्होंने अपनी रजामंदी दे दी।

पिता हिमालय के रजामंदी को जानकर माता पार्वती चिंतित हो गईं क्योंकि उन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने की कामना पहले से ही कर रखी थीं। इसलिए भगवान शिव को पाने के लिए वो एकांत जंगल में जाकर तपस्या करने का संकल्प लिया। वहां पर उन्होंने रेत से एक शिवलिंग बनाया और अपनी तपस्या करने लगीं। एकांत जंगल में माता पार्वती ने कठोर तपस्या की। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया। जब पर्वतराज हिमालय को बेटी पार्वती के मन की बात पता चली तो उन्होंने भगवान शिव से माता पार्वती की शादी के लिए तैयार हो गए। जिसके परिणाम स्वरूप माता पार्वती और भगवान शिव की शादी संपन्न हुई। तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।

Pic Credit- Freepik

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