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Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज के दिन पूजा के समय करें शिव चालीसा का पाठ, पूरी होगी मनचाही मुराद

Hartalika Teej 2023 धार्मिक मान्यताएं हैं कि हरतालिका तीज का व्रत करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। आजकल अविवाहित युवतियां भी शीघ्र शादी हेतु हरतालिका तीज करती हैं। अगर आप भी देवों के देव महादेव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो हरतालिका तीज के दिन पूजा के समय शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 13 Sep 2023 07:00 AM (IST)
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Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज के दिन पूजा के समय करें शिव चालीसा का पाठ, पूरी होगी मनचाही मुराद

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Hartalika Teej 2023: हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष 18 सितंबर को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा। इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रख विधि-विधान से देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-उपासना करती हैं। धार्मिक मान्यताएं हैं कि हरतालिका तीज का व्रत करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। आजकल अविवाहित युवतियां भी शीघ्र शादी हेतु हरतालिका तीज करती हैं। अगर आप भी भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो हरतालिका तीज के दिन पूजा के समय शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें। आइए, शिव चालीसा का पाठ करें-

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शिव चालीसा

दोहा

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला।

सदा करत संतन प्रतिपाला॥

भाल चंद्रमा सोहत नीके।

कानन कुंडल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये।

मुंडमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघंबर सोहे।

छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी।

बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।

करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नंदि गणेश सोहै तहं कैसे।

सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ।

या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा।

तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी।

देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ।

लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा।

सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।

सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी।

पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।

सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई।

अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।

जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहं करी सहाई।

नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।

जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी।

कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।

कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।

भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी।

करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।

भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।

यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।

संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई।

संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी।

आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं।

जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन।

मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।

नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय।

सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई।

ता पार होत है शंभु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।

पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई।

निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पंडित त्रयोदशी को लावे।

ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।

तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।

शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे।

अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी।

जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

दोहा

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

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