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Holika Dahan 2023: होलिका दहन पर इस विधि से करें भक्त प्रह्लाद और नारायण की उपासना

Holika Dahan 2023 हिन्दू धर्म में होलिका दहन पूजा का विशेष महत्व है। हर साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन मनाई जाएगी। इस दिन शास्त्रों के अनुसार बताए गए पूजा-विधि का पालन करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Fri, 03 Mar 2023 12:34 PM (IST)
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Holika Dahan 2023: इस विधि से करें होलिका और भक्त प्रह्लाद की पूजा।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Holika Dahan 2023: प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन पर्व के रूप में मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 06 और 07 मार्च के दिन मनाया जाएगा। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार इस वर्ष भद्रा काल के कारण होलिका दहन पर्व देश के अधिकांश हिस्सों में 06 मार्च को और भारत के कुछ हिस्से में 07 मार्च 2023 (Holika Dahan 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन के दिन भगवान विष्णु और भक्त प्रह्लाद की उपासना करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। वहीं फाल्गुन पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन अग्नि देव की उपासना करने से सभी कष्ट होलिका की अग्नि में भस्म हो जाते हैं। ऐसे में होलिका दहन से जुड़े कुछ बातों का ध्यान रखना साधक के लिए बहुत आवश्यक है। आइए जानते हैं किस तरह करें होलिका दहन की पूजा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी?

होलिका दहन पूजा विधि (Holika Dahan 2023 Puja Vidhi)

  • होलिका दहन पर पर भक्त प्रह्लाद और होलिका की पूजा का विधान है। लेकिन शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश, भगवान विष्णु और कुल देवी-देवताओं की उपासना करें।

  • इससे पहले पूजा स्थल की साफ-सफाई अच्छे से कर लें और होलिका दहन की सामग्री की भी पूजा करें और हो सके तो होलिका दहन की सामग्री को घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें।

  • होलिका और भक्त प्रह्लाद की पूजा के समय व्यक्ति का मुख होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा में रहना चाहिए। इसे शुभ माना जाता है।

  • इसके पूजा के लिए जल, अक्षत, रोली, गंध, पुष्प, गुड़, खिल, बताशे, नारियल और गुलाल का प्रयोग करें। साथ ही कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन से चार बार लपेट दें।

  • होलिका को अग्नि अर्पित करें के बाद उनकी परिक्रमा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। इसकी 'असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिषै:। अतस्तवां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।' मंत्र का जाप करते हुए कम से कम सात बार होलिका की परिक्रमा करें और मंत्रोच्चारण करते हुए ही अर्घ्य प्रदान करें।

  • मंदिर अथवा चौराहे पर हुई होलिका दहन की लकड़ी से ही घर की होलिका को प्रज्वलित करें और होलिका में सभी सामग्री अर्पित करें।

  • होलिका दहन के समय भक्त प्रह्लाद और नारायाण का स्मरण करते रहें और उनसे सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। इसके बाद होलिका में नारियल, चना, सप्तधान्य, जौ इत्यादि अर्पित करने के बाद इन चीजों को प्रसाद के रूप में बांट दें।

  • मान्यता है कि होलिका दहन की इस पूजा विधि का पालन करने से और होलिका दहन के पवित्र भस्म को घर में रखने से आरोग्यता और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।