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Janmashtami 2024: जन्माष्टमी की पूजा में करें तुलसी स्तुति का पाठ, जीवन में होगा खुशियों का आगमन

सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का अधिक महत्व है। इसमें जातक के जीवन से जुड़ी सभी समस्या के समाधान के बारे में बताया गया है। यदि आप भी किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं तो जन्माष्टमी (Janmashtami 2024) के शुभ अवसर पर तुलसी के पौधे की विधिपूर्वक उपासना कर मंत्रों का जप करें। इससे जीवन में खुशियों का आगमन होगा।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 26 Aug 2024 01:10 PM (IST)
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Tulsi Mantra: जन्माष्टमी पर जरूर करें तुलसी मंत्रों का जप

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shri Krishna Janmashtami 2024: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान विष्णु को तुलसी का पौधा बेहद प्रिय है। अधिकतर हिंदुओं के घर में तुलसी का पौधा देखने को मिलता है। इस पौधे की पूजा-अर्चना करने से धन लाभ के योग बनते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। आज यानी 26 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। अगर आप शुभ प्राप्ति चाहते हैं, तो आज पूजा के समय तुलसी स्तुति और मन्त्रों का जप करें। ऐसा करने से आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलेगी और वैवाहिक रिश्ते मजबूत होंगे।

तुलसी पूजा से मिलते हैं कई लाभ

  • सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
  • घर में सकारात्मक ऊर्जा वास होता है।
  • मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

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तुलसी स्तुति मंत्र

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी ध्यान मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी नामाष्टक मंत्र

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

तुलसी पूजन मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी नामाष्टक मंत्र

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र

1. ॐ कृष्णाय नमः

2. हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।

3. ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः

4. ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात

5. ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे।

सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।