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Jaya Ekadashi 2023: सर्वार्थ सिद्धि योग में जया एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Jaya Ekadashi 2023 हिंदू धर्म में जया एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। इस साल जया एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। जानिए जया एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

By Shivani SinghEdited By: Shivani SinghUpdated: Wed, 01 Feb 2023 08:27 AM (IST)
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Jaya Ekadashi 2023 : जया एकादशी कब? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
नई दिल्ली, Jaya Ekadashi 2023 Date: सर्वार्थ सिद्धि, इंद्र और वैधृति योग के साथ आज जया एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जानते हैं। पंचांग के अनुसार, साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। ऐसे में हर मास के शुक्ल और कृष्ण पक्ष में एक-एक एकादशी पड़ती है। हर एक एकादशी का अपना एक महत्व है। वहीं माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्रत रखने से व्यक्ति के ऊपर ऊपरी शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता है और पापों से मुक्ति मिल जाती है। जया एकादशी को भूमि एकादशी, भीष्म एकादशी नाम से भी जानते हैँ। जानिए जया एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

जया एकादशी 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त (Jaya Ekadashi 2023 Tithi And Shubh Muhurat)

जया एकादशी तिथि का आरंभ- 31 जनवरी 2023 को रात 11 बजकर 53 मिनट पर

जया एकादशी का समापन- 01 फरवरी 2023 को दोपहर 02 बजकर 01 मिनट तक

जया एकादशी 2023 तिथि- उदया तिथि के अनुसार जया एकादशी का व्रत 01 फरवरी 2023 को रखा जाएगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग- 1 फरवरी सुबह 07 बजकर 10 मिनट से 2 फरवरी की आधी रात 03 बजकर 23 मिनट तक

जया एकादशी 2023 पारण (Jaya Ekadashi 2023 Parana Time)

02 फरवरी 2023 को सुबह 07 बजकर 09 मिनट से सुबह 09 बजकर 19 मिनट तक

जया एकादशी 2023 महत्व (Jaya Ekadashi 2023 Significance)

पद्म पुराण के अनुसार, हर व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल मिलता है। ऐसे ही कई व्यक्तियों को प्रेम और भूत पिशाच योनी पर जाना पड़ता है। ऐसे में जो व्यक्ति जया एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें कष्टकारी पिशाच योनी से मुक्ति मिल जाती है।

जया एकादशी पूजन विधि (Jaya Ekadashi 2023 Pujan Vidhi)

जया एकादशी के दिन सूर्योदय के समय उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विधिवत तरीके से भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीला चंदन, अक्षत, फूल, माला,फल, पंचामृत, तुलसी दल आदि अर्पित करने के साथ घी का दीपक और धूप से विधिवत आरती कर लें। इसके साथ एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। दिनभर व्रत रखने के साथ रात्रि जागरण करें। इसे बेहद ही शुभ माना जाता है। अगले दिन द्वादशी तिथि को स्नान करने के साथ दान आदि कर लें। इसके बाद ही व्रत का पारण कर लें।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।