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Jaya Parvati Vrat 2019: जया पार्वती व्रत से मिलता है अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद, जानें पूजा विधि एवं कथा

Jaya Parvati Vrat 2019 हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जया पार्वती व्रत रखा जाता है इसे विजया पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है.

By kartikey.tiwariEdited By: Updated: Mon, 15 Jul 2019 09:54 AM (IST)
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Jaya Parvati Vrat 2019: जया पार्वती व्रत से मिलता है अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद, जानें पूजा विधि एवं कथा
Jaya Parvati Vrat 2019: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जया पार्वती व्रत रखा जाता है, इसे कई स्थानों पर विजया पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का महत्व मंगला गौरी और सौभाग्य सुंदरी व्रत जैसा ही है। जया पार्वती व्रत इस वर्ष 14 जुलाई दिन रविवार को है।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को महिलाएं माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। उनको प्रसन्न करने से उन्हें खंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जो नि:संतान होती हैं, उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

इस व्रत में रेत का हाथी बनाकर उस पर 5 तरह के फल, पुष्प और मिठाई चढ़ाने का विधान है। माता पार्वती की विधि विधान से पूजा के पश्चात उस रेत के हाथी को रात में पूजन के बाद विसर्जित कर दिया जाता है।

जया पार्वती व्रत कथा

कौडिन्य नामक जगह पर वामन नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी सत्या के साथ रहता था। वे दोनों सुखी थे, लेकिन नि:संतान थे। एक दिन नारद जी ने उन दोनों को दर्शन दिए और उनकी दु:ख के समाधान का उपाय बताया। नारद मुनि ने बताया कि नगर के बाहर वन में बेल के पेड़ के नीचे भगवान शिव और माता पार्वती एक शिवलिंग रुप में स्थित हैं, उसकी पूजा करो। वामन और सत्या उस शिवलिंग की पूजा करने लगे।

कुछ साल के बाद एक दिन वामन फूल तोड़ रहा था, तभी सांप ने डस लिया। पति के काफी देर तक घर न लौटने पर सत्या वन की ओर गई। वहां उसका पति अचेत अवस्था में मिला। ऐसे अवस्था में देखकर वह रोने लगी और माता पार्वती का स्मरण किया।

माता पार्वती उस ब्राह्मण के पत्नी की पुकार सुनकर प्रकट हुईं और उसके पति को जीवित कर दिया। उन दोनों की वर्षों की तपस्या से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उनको पुत्र की प्राप्ति के लिए जया पार्वती व्रत करने को कहा। उन दोनों ने आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी को विधि विधान से व्रत किया, जिसके परिणाम स्वरुप उनको पुत्र की प्राप्ति हुई।