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Jyeshtha Amavasya 2024: ज्येष्ठ अमावस्या पर मां लक्ष्मी को इस तरह करें प्रसन्न, आय में होगी वृद्धि

सनातन धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2024) का अधिक महत्व है। यह तिथि भगवान विष्णु और पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन भगवान विष्णु के संग मां लक्ष्मी और पितरों की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही गंगा स्नान कर पिंडदान करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 05 Jun 2024 04:40 PM (IST)
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Jyeshtha Amavasya 2024: ज्येष्ठ अमावस्या पर मां लक्ष्मी को इस तरह करें प्रसन्न, आय में होगी वृद्धि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahalakshmi Stotram: भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित ज्येष्ठ अमावस्या 06 जून को मनाई जाएगी। इस अमावस्या को बेहद खास माना जाता है। क्योंकि ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती और वट सावित्री व्रत किया जाता है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन भगवान विष्णु के संग मां लक्ष्मी और पितरों की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही गंगा स्नान कर पिंडदान करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पूजा के दौरान इस दिन महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे आय में वृद्धि होगी और जीवन में कभी धन की कमी नहीं होगी।

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महालक्ष्मी स्तोत्र (Mahalakshmi Stotram)

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।

सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।

द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।

श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र:

ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।

लक्ष्मी प्रा​र्थना मंत्र:

नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।

या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।

श्री लक्ष्मी महामंत्र:

ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।