Kaal Bhairav Aarti: भैरवाष्टमी पर अवश्य करें काल भैरव की आरती, मनोकामना होती है पूरी
Kaal Bhairav Aarti भगवान शंकर के कई अवतार हैं। इन्हीं में से विशिष्ट स्थान भैरव जी का है। मान्यता है कि अगर व्यक्ति को मनोवांछित फल पाने की इच्छा हो तो उन्हें सच्चे मन से भगवान श्री काल भैरव की पूजा करनी चाहिए।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 07 Dec 2020 07:30 AM (IST)
Kaal Bhairav Aarti: आज काल भैरव जयंती है। भगवान शंकर के कई अवतार हैं। इन्हीं में से विशिष्ट स्थान भैरव जी का है। मान्यता है कि अगर व्यक्ति को मनोवांछित फल पाने की इच्छा हो तो उन्हें सच्चे मन से भगवान श्री काल भैरव की पूजा करनी चाहिए। काल भैरव जी का अवतरण मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इनकी जयंती हर वर्ष इसी तिथि को मनाई जाती है और आज यही तिथि है। इसे भैरव अष्टमी और भैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव ने कृष्ण अष्टमी पर काल भैरव का रूप धारण किया था। उन्हें काशी के निर्देशों और संरक्षण का रक्षक माना जाता है। कहा जाता है कि अगर भैरव अष्टमी के दिन काल भैरव का व्रत किया जाए तो शत्रु दूर हो जाते हैं। कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश जैसे राजाओं के बीच एक बार सबसे सर्वश्रेष्ठ कौन है इस बात को लेकर युद्ध हो गया। इस दौरान भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव को अपशब्द कहे जिससे उन्होंने अपना रौद्र रुप काल भैरव धारण किया और ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काट दिया। पूरे कथा जानने के लिए क्लिक करें यहां। काल भैरव की पूजा करते समय उनकी आरती अवश्य करनी चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं काल भैरव जी की आरती।
काल भैरव जी की पावन आरती:
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।