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Bada Mangal 2024: दूसरे बड़े मंगल पर जरूर करें यह काम, जीवन सदैव रहेगा खुशहाल

ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार का बेहद खास महत्व है। इस माह के मंगलवार को बड़ा मंगल और बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष 4 बड़े मंगल पड़ रहे हैं। दूसरा बड़ा मंगल आज यानी 04 जून को है। मान्यता के अनुसार इस शुभ अवसर पर हनुमान जी की पूजा और आरती करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 04 Jun 2024 06:30 AM (IST)
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Bada Mangal 2024: दूसरे बड़े मंगल पर जरूर करें यह काम, जीवन सदैव रहेगा खुशहाल
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sankat Mochan Stuti Lyrics: जीवन के संकट को दूर करने के लिए मंगलवार का दिन उत्तम माना जाता है। साथ ही ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार का बेहद खास महत्व है। इस माह के मंगलवार को बड़ा मंगल और बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष 4 बड़े मंगल पड़ रहे हैं। दूसरा बड़ा मंगल आज यानी 04 जून को है। मान्यता के अनुसार, इस शुभ अवसर पर हनुमान जी की पूजा और आरती करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर आप बजरंगबली की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो बड़ा मंगल पर संकट मोचन स्तुति का पाठ जरूर करें। इससे सभी प्रकार के दुख दूर होंगे और जीवन सदैव खुशहाल रहेगा। आइए पढ़ते हैं संकट मोचन स्तुति।

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संकट मोचन स्तुति

बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।

ताहि सो त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।

देवन आनि करी विनती तब, छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।

चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीश यह बैन उचारो।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।

हेरी थके तट सिन्धु सबै तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

रावण त्रास दई सिय को तब, राक्षसि सो कही सोक निवारो।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मारो।

चाहत सीय असोक सों आगिसु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो।

आनि संजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।

श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।

आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।

देवहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।

जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।

कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।

बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।