Sankashti Chaturthi 2024: इस चालीसा के पाठ से विवाह में आ रही बाधा होगी दूर, जल्द बजेगी शहनाई
मांगलिक कार्यों में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि सर्वप्रथम गणपति बप्पा की उपासना करने से मांगलिक कार्यों में कोई रुकावट नहीं आती है। इसके अलावा हर माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मार्गशीर्ष माह में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024) मनाई जाती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024) के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की पूजाा-अर्चना और व्रत करने से जातक के सभी विघ्न दूर होते हैं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। अगर आप भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन विधिपूर्वक गणेश चालीसा का पाठ करें। इसका पाठ करने से जातक का जीवन खुशहाल होता है और विवाह में आ रही बाधा दूर होती है। इस बार गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत 18 नवंबर को किया जाएगा।
॥गणेश चालीसा॥
॥दोहा॥
जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥॥चौपाई॥
जय जय जय गणपति गणराजू।मंगल भरण करण शुभ काजू॥जय गजबदन सदन सुखदाता।विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥राजत मणि मुक्तन उर माला।स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥सुन्दर पीताम्बर तन साजित।चरण पादुका मुनि मन राजित॥धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।गौरी ललन विश्व-विख्याता॥ऋद्घि-सिद्घि तव चंवर सुधारे।मूषक वाहन सोहत द्घारे॥कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगलकारी॥एक समय गिरिराज कुमारी।पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी॥
मनोकामना को पूरी करने के लिए गणाधिप संकष्टी चतुर्थी शुभ मानी जाती है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान गणेश की पूजा करें और मोदक समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति और मनोकामना पूरी होने के लिए कामना करें। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से गणपति बप्पा जातक की सभी मुरादें पूरी करते हैं।
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा॥अतिथि जानि कै गौरि सुखारी।बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा।मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।बिना गर्भ धारण, यहि काला॥गणनायक, गुण ज्ञान निधाना।पूजित प्रथम, रुप भगवाना॥अस कहि अन्तर्धान रुप है।पलना पर बालक स्वरुप है॥
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना।लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं।सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥लखि अति आनन्द मंगल साजा।देखन भी आये शनि राजा॥निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥यह भी पढ़ें: Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: नवंबर में कब है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी? ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधिगिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो।उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि, मन सकुचाई।का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।शनि सों बालक देखन कहाऊ॥पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा।बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा॥गिरिजा गिरीं विकल हुए धरणी।सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥हाहाकार मच्यो कैलाशा।शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा॥तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।काटि चक्र सो गज शिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।प्राण, मंत्र पढ़ि शंकर डारयो॥नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे॥बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥चले षडानन, भरमि भुलाई।रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई॥धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।अगर आप विवाह में बाधा का सामना कर रहे हैं, तो गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को गुड़ से मिश्रित मालपुएं का भोग लगाएं। मान्यता है कि इस टोटके को करने से विवाह संबंधी समस्या से छुटकारा मिलता है।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।शेष सहसमुख सके न गाई॥मैं मतिहीन मलीन दुखारी।करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी॥भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥अब प्रभु दया दीन पर कीजै।अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥श्री गणेश यह चालीसा।पाठ करै कर ध्यान॥नित नव मंगल गृह बसै।लहे जगत सन्मान॥
॥दोहा॥सम्वत अपन सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥यह भी पढ़ें: Budhwar Ke Upay: बुधवार के दिन पूजा के समय करें ये 5 आसान उपाय, पूरी होगी मनचाही मुरादअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।