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Hariyali Teej 2024: मनचाहे वर पाने के लिए सरल विधि से करें पूजा, वैवाहिक जीवन होगा खुशहाल

हरियाली तीज के दिन महिलाओं के बीच झूला झूलने का प्रचलन है। माना जाता है कि हरियाली तीज पर झूला न झूलने से त्योहार अधूरा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि महादेव और माता पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है। चलिए जानते हैं कि हरियाली तीज ( Hariyali Teej Puja Vidhi) पर पूजा किस तरह करनी चाहिए?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 06 Aug 2024 12:36 PM (IST)
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Kab Hai Hariyali Teej 2024: हरियाली तीज की पूजा विधि (Pic credit - Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hariyali Teej 2024 Date and Time: हर साल सावन के महीने में हरियाली तीज के त्योहार को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के रूप में हरियाली तीज मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। इसके अलावा कुंवारी लड़कियां भी मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखकर उपासना करती हैं। अगर आप भी इस व्रत को कर रही हैं, तो व्रत की शुरुआत होने से पहले जरूर नोट करें पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।  

हरियाली तीज 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Hariyali Teej 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 06 अगस्त को रात 07 बजकर 52 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 07 अगस्त को रात 10 बजकर 05 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 07 अगस्त को हरियाली तीज मनाई जाएगी।

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हरियाली तीज पूजा विधि (Hariyali Teej Puja Vidhi)

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर मिट्टी से बनी भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को विराजमान करें। माता पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। साथ ही फल, फूल, धूप-दीप, अक्षत, दूर्वा चढ़ाएं।

देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें। इसके बाद शिव जी और माता पार्वती से सुख, समृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए कामना करें। इसके पश्चात निर्जला उपवास करें। शाम में विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें। फल, खीर, मिठाई और फल समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। अगले दिन पूजा-पाठ कर व्रत का पराण करें। अंत में श्रद्धा अनुसार अन्न, धन और वस्त्र समेत आदि चीजों का दान करें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिला