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Mangla Gauri Vrat 2024: मंगला गौरी व्रत पर ऐसे करें मनचाहे वर की प्राप्ति, चमक जाएगी आपकी किस्मत

सावन माह में मंगलवार के दिन पड़ने वाला मंगला गौरी व्रत माता पार्वती को समर्पित है। इस व्रत को विवाहित स्त्रियों और अविवाहित कन्याओं द्वारा किया जाता है। धार्मिक मत है कि व्रत को करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। अगर आप भी मां पार्वती को प्रसन्न करना चाहते हैं तो मंगला गौरी व्रत की पूजा के दौरान सच्चे मन से दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 22 Jul 2024 06:00 PM (IST)
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Mangla Gauri Vrat 2024: मंगला गौरी व्रत पर इस तरह करें पूजा

धर्म डेस्क,नई दिल्ली। Mangla Gauri Vrat 2024: सावन में पड़ने वाले हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस बार सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को है। धार्मिक मत है कि इस तिथि पर सच्चे मन से माता पार्वती के संग शिव जी की पूजा और व्रत करने से सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति होती है।

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दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥

निराकार है ज्योति तुम्हारी।तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लय कीना।पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥

धरा रूप नरसिंह को अम्बा।प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥

रक्षा कर प्रह्लाद बचायो।हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर-खड्ग विराजै।जाको देख काल डर भाजे॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगर कोटि में तुम्हीं विराजत।तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब।भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावै।दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप को मरम न पायो।शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावे।मोह मदादिक सब विनशावै॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥

जब लगि जियउं दया फल पाऊं।तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

दुर्गा चालीसा जो नित गावै।सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।