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Shani Jayanti 2024: शनि जयंती पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, चमक सकती है आपकी किस्मत

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। इस साल शनि जयंती 06 जून 2024 गुरुवार को है। इस शुभ तिथि पर भगवान शनि देव की उपासना करने से साधक को जीवन में कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। शनि जयंती की पूजा के दौरान शनि स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 28 May 2024 03:28 PM (IST)
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Shani Jayanti 2024: शनि जयंती पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, चमक सकती है आपकी किस्मत

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Stotram Lyrics: ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस साल 06 जून 2024, गुरुवार (Shani Jayanti 2024 Date) के दिन शनि जयंती मनाई जाएगी। इस दिन साधक विधिपूर्वक शनिदेव की पूजा और व्रत करते हैं। मान्यता है कि शनिदेव की उपासना करने से साधक को जीवन में कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। अगर आप भी शनिदेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो शनि जयंती के दिन शनिदेव की विशेष पूजा करें और उन्हें प्रिय चीजों का भोग लगाएं। इसके अलावा सच्चे मन से शनि स्तोत्र का पाठ। ऐसा करने से जातक की किस्मत चमक सकती है और शनिदेव प्रसन्न होंगे।

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शनि स्तोत्र

कोणोऽन्तको रौद्रयमोऽथ बभ्रुः कृष्णः शनिः पिंगलमन्दसौरिः।

नित्यं स्मृतो यो हरते च पीडां तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

सुरासुराः किंपुरुषोरगेन्द्रा गन्धर्वविद्याधरपन्नगाश्च।

पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

नरा नरेन्द्राः पशवो मृगेन्द्रा वन्याश्च ये कीटपतंगभृङ्गाः।

पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

देशाश्च दुर्गाणि वनानि यत्र सेनानिवेशाः पुरपत्तनानि।

पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

तिलैर्यवैर्माषगुडान्नदानैर्लोहेन नीलाम्बरदानतो वा।

प्रीणाति मन्त्रैर्निजवासरे च तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

प्रयागकूले यमुनातटे च सरस्वतीपुण्यजले गुहायाम्।

यो योगिनां ध्यानगतोऽपि सूक्ष्मस्तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

अन्यप्रदेशात्स्वगृहं प्रविष्टस्तदीयवारे स नरः सुखी स्यात्।

गृहाद् गतो यो न पुनः प्रयाति तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

स्रष्टा स्वयंभूर्भुवनत्रयस्य त्राता हरीशो हरते पिनाकी।

एकस्त्रिधा ऋग्यजुःसाममूर्तिस्तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

शन्यष्टकं यः प्रयतः प्रभाते नित्यं सुपुत्रैः पशुबान्धवैश्च।

पठेत्तु सौख्यं भुवि भोगयुक्तः प्राप्नोति निर्वाणपदं तदन्ते॥

कोणस्थः पिङ्गलो बभ्रुः कृष्णो रौद्रोऽन्तको यमः।

सौरिः शनैश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः॥

एतानि दश नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।

शनैश्चरकृता पीडा न कदाचिद्भविष्यति॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।