Som Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान इन मंत्रों का करें जाप, जीवन में सदैव रहेंगी खुशियां
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अधिक महत्व है। इस दिन शिव जी के साथ मां पार्वती की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा करने से जातक के जीवन की सभी समस्या खत्म होती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान भगवान महादेव को समर्पित मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Som Pradosh Vrat 2024: हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार हिंदू नववर्ष का पहला सोम प्रदोष व्रत 20 मई को है। प्रदोष व्रत पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा संध्याकाल में करने का विधान है। साथ ही महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा करने से जातक के जीवन की सभी समस्या खत्म होती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान भगवान शिव को समर्पित कुछ मंत्रों का जाप करने से जीवन में सदैव खुशियां रहती हैं। साथ ही महादेव की कृपा प्राप्त होती है। आइए इस लेख में हम आपको बताएंगे प्रदोष व्रत पूजा मंत्र के बारे में, जिनका जाप करना जीवन के लिए फलदायी होगा।
प्रदोष व्रत के मंत्र (Pradosh Vrat Mantra)
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव स्तुति मंत्र
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।
शिव नामावली मंत्र
।। श्री शिवाय नम:।।
।। श्री शंकराय नम:।।
।। श्री महेश्वराय नम:।।
।। श्री सांबसदाशिवाय नम:।।
।। श्री रुद्राय नम:।।
।। ओम पार्वतीपतये नम:।।
।। ओम नमो नीलकण्ठाय नम:।।
शिव प्रार्थना मंत्र
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥
शिव गायत्री मंत्र
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।
शिव आरोग्य मंत्र
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
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