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Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी की पूजा इस स्तोत्र के पाठ बिना है अधूरी, सभी बाधाएं होंगी दूर

हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत किया जाता है। साथ ही जीवन में खुशियों के आगमन के लिए गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2024) का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 10 जून को मनाया जाएगा।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 04 Jun 2024 02:01 PM (IST)
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Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी की पूजा इस स्तोत्र के पाठ बिना है अधूरी, सभी बाधाएं होंगी दूर
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganesha Stotram Lyrics: सनातन धर्म में शुभ और मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम भगवान महादेव के पुत्र भगवान गणेश जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इससे शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत किया जाता है। साथ ही जीवन में खुशियों के आगमन के लिए गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 10 जून को मनाया जाएगा। अगर आप भी भगवान गणेश जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी पर पूजा के दौरान गणेश स्तोत्र का पाठ जरूर करें। इससे जीवन के सभी विघ्न दूर होंगे और शुभ फल की प्राप्ति होगी।

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गणेश स्तोत्र 

शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

धन लाभ हेतु मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।