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Ashadha Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्र में ऐसे करें मां दुर्गा को प्रसन्न, परिवार में बनी रहेगी सुख-शांति

आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2024) में माता रानी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। अगर आप जीवन की समस्त समस्याओं से मुक्ति पाना चाहते हैं तो पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इससे साधक की जीवन खुशहाल होगा और परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 03 Jul 2024 03:05 PM (IST)
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Ashadha Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्र में करें दुर्गा चालीसा का पाठ।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Durga Chalisa: गुप्त नवरात्र को माता रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। सनातन धर्म में गुप्त नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दौरान माता रानी को फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाया जाता है। धार्मिक मत है कि ऐसा करने से जातक को जीवन में आने वाले सभी संकट से मुक्ति मिलती है। साथ ही सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।

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दुर्गा चालीसा का पाठ (Durga Chalisa Lyrics)

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

शंकर अचरज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥

करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।