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Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर इस स्तोत्र के पाठ से रुके हुए कार्य होंगे पूरे, सभी सुखों की होगी प्राप्ति

कालाष्टमी के दिन तंत्र सीखने वाले साधक निशा काल में काल भैरव देव की कठिन साधना करते हैं। पंचांग के अनुसार आश्विन माह में 24 सितंबर (Masik Kalashtami 2024 Date) को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन काल भैरव देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में विशेष चीजों का दान किया जाता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 22 Sep 2024 03:38 PM (IST)
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Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर जरूर करें काल भैरव देव की पूजा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में सभी त्योहारों में कालाष्टमी को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ दिन पर ब्रह्मा जी द्वारा अपमानित किए जाने के बाद भगवान शिव का रौद्र रूप काल भैरव देव का अवतरण हुआ था। इसलिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी व्रत (Kalashtami 2024 Vrat) किया जाता है। धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। अगर आप काल भैरव देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो कालाष्टमी के दिन शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करें। इसका पाठ करने से जातक के रुके हुए काम पूरे होंगे और सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होगी। आइए पढ़ते हैं शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram Lyrics in Hindi)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।

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निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।

गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।

करालं महाकालकालं कृपालं ।

गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।

मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।

प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।

काल भैरव देव के मंत्र

1. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।

2. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।

3. ॐ ह्रीं बटुक! शापम विमोचय विमोचय ह्रीं कलीं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।