Kali Mata Puja: दुष्टों का विनाश करती हैं माता कालिका, पूजा के लिए समर्पित हैं ये 6 दिन
Kali Mata Puja दुष्टों का विनाश करने वाली मां कालरात्रि को हिंदू धर्म में वीरता और साहस का प्रतीक माना गया है। मां काली की आराधना करने से जीवन के सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं कि किस समय में उनकी आराधना करने से वह तुरंत प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Sun, 13 Aug 2023 12:31 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Kali Mata Puja: हिंदू धर्म में प्रत्येक देवी और देवताओं को पूजने के कुछ खास समय, वार, तिथि, त्योहार आदि निर्धारित किए गए हैं। इसी प्रकार माता कालिका का भी समय होता है जिस समय उनकी पूजा करने से व्यक्ति को कष्टों से मुक्ति मिलती है।
1. ये वार मां कालिका को है समर्पित
जिस प्रकार हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी-न-किसी देवी-देवता को समर्पित है। ठीक उसी प्रकार शुक्रवार का दिन भी माता काली की आराधना के लिए शुभ माना गया है। मां काली की उपासना करने के लिए सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि का होता है।
2. अमावस्या की तिथि
अमावस्या की तिथि भी माता काली की पूजा-अर्चना करने के लिए विशेष मानी जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसी दिन मां काली की उत्पत्ति हुई थी। अमावस्या की मध्य रात्रि में मां काली की पूजा की जाती है।3. ये त्यौहार है समर्पित त्योहार
दीपावली की अमावस्या को माता कालिका की विशेष रूप से पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन माता काली प्रकट हुई थी। विशेषकर बंगाल में दीपावली के दिन कालिका की पूजा का प्रचलन है। यह भी मान्यता है कि इसी दिन देवी काली 64,000 योगिनियों के साथ प्रकट हुई थीं। इस दिन की पूजा को महानिशा पूजा कहा जाता है।
4. कार्तिक माह की काली चौदस
नरक चतुर्दशी या काली चौदस को बंगाल में मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इस दिन को काली चौदस भी कहा जाता है। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व है।5. दस महाविद्याओं में से प्रथम देवी
माता कालिका दस महाविद्याओं में से प्रथम देवी है। इसलिए गुप्त नवरात्रि में माता कालिका की विशेष साधना की जाती है। हिन्दू मास अनुसार अषाढ़ और माघ माह में गुप्त नवरात्रि आती है।