Kamada Ekadashi 2023: हिन्दू नववर्ष का पहला एकादशी व्रत कब? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
Kamada Ekadashi 2023 चैत्र मास का अंतिम और नववर्ष विक्रम संवत 2080 का पहला एकादशी व्रत कामदा एकादशी व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है।
By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Thu, 30 Mar 2023 09:14 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Kamada Ekadashi 2023 Kab Hai: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। प्रत्येक वर्ष कुल 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं। बता दें कि हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2080 का प्रथम एकादशी व्रत अर्थात कामदा एकादशी व्रत 1 अप्रैल 2023, शनिवार (Kamada Ekadashi 2023 Date) के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। शास्त्रों में बताया गया है कि कामदा एकादशी के दिन श्री हरि की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। साथ ही जीवन में सफलता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कामदा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय।
कामदा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त (Kamada Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ 01 अप्रैल 2023 मध्य रात्रि 12 बजकर 28 मिनट पर होगा, जिसका समापन 2 अप्रैल को रात्रि 02 बजकर 49 मिनट पर होगा। इस विशेष दिन पर रवि योग सुबह 06 बजकर 17 मिनट से 02 अप्रैल को सुबह 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रवि योग में पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।
कामदा एकादशी व्रत का महत्व (Kamada Ekadashi 2023 Significance)
शास्त्रों में बताया गया है कि कामदा एकादशी व्रत के दिन श्री हरि की उपासना करने से और उपवास का पालन करने से साधक के सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं। साथ ही ब्रह्म हत्या का भय भी एकादशी व्रत रखने से मिट जाता है। एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही किया जाता है। इसके साथ एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु के विशेष मंत्रों का जाप और उनकी आरती का पाठ करने से साधक को शारीरिक, आर्थिक व मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।कामदा एकादशी व्रत मंत्र (Kamada Ekadashi 2023 Mantra)
1. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।
2. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।3. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।