Move to Jagran APP

Kamada Ekadashi 2024: इस दिन है कामदा एकादशी, नोट करें पूजा विधि एवं पारण का समय

इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह पर्व हर माह कृष्ण और शुक्ल की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 19 अप्रैल को कामदा एकादशी है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक द्वारा जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 16 Apr 2024 05:05 PM (IST)
Hero Image
Kamada Ekadashi 2024: इस दिन है कामदा एकादशी, नोट करें पूजा विधि एवं पारण का समय
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kamada Ekadashi 2024: एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह पर्व हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 19 अप्रैल को कामदा एकादशी है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक द्वारा जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं शांति आती है। एकादशी व्रत करने वाले साधक को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। आइए, कामदा एकादशी की पूजा विधि एवं पारण का समय जानते हैं-

यह भी पढ़ें: धन की कमी से जूझ रहे हैं, तो कामदा एकादशी पर करें ये उपाय

पूजा विधि

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इस समय जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी को प्रणाम और ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध कर लें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त यानी गंगाजल मिले पानी से स्नान करें।

इस समय अंजलि यानी हाथ में जल रखकर आचमन करें। इस समय ॐ केशवाय नम:, ॐ नाराणाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ ह्रषीकेशाय नम: मंत्र का उच्चारण करें। अंत में ॐ वासुदेवाय नमः मंत्र का उच्चारण करें। इसके बाद पीले रंग का वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें-

एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते ।

अनुकम्पय मां देवी गृहाणा‌र्घ्यं दिवाकर ।।

इसके पश्चात, पूजा गृह में एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इस समय भगवान विष्णु का आह्वान निम्न मंत्र से करें।

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

अब पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। इस समय भगवान विष्णु को पीले रंग का पुष्प, फल, पान, सुपारी, जनेऊ, हल्दी, अक्षत आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा और स्तोत्र का पाठ एवं मंत्र जप करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि एवं अर्थ में वृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। रात्रि के समय कीर्तन भजन कर भगवान विष्णु का सुमिरन करें। अगले दिन स्नान-ध्यान के बाद पारण करें। साधक 20 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 50 मिनट से लेकर 08 बजकर 26 मिनट के बीच पारण कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें: नरक का दुख भोगकर धरती पर जन्मे लोगों में पाए जाते हैं ये चार अवगुण

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।