Karwa Chauth 2024: एक क्लिक में नोट करें करवा चौथ से जुड़ी संपूर्ण जानकारी और चंद्रोदय का समय
हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ(Karwa Chauth 2024) का व्रत मनाया जाता है। यह पर्व करवा माता को समर्पित है। इस शुभ तिथि पर महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इसके साथ ही भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 20 Oct 2024 07:05 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 20 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस अवसर पर विवाहित महिलाएं सुख-सौभाग्य में वृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का निर्जला व्रत रख रही हैं। इस व्रत को करने से व्रती की हर मनोकामना पूरी ( Karwa Chauth 2024 Importance) होती है। इस व्रत का समापन चंद्रोदय को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। इस समय महिलाएं छलनी में अपने पति का दर्शन करती हैं। वहीं, पति जल पिलाकर व्रत का पारण कराते हैं। कई अवसर पर आसमान में बादल रहने के चलते चांद दिखाई नहीं देता है। ऐसी स्थिति में पंचांग द्वारा निर्धारित समय पर चंद्र देव को अर्घ्य देकर महिलाएं व्रत खोल सकती हैं। आइए, करवा चौथ की पूजा विधि से लेकर चंद्र देव के दर्शन तक का सही समय जानते हैं-
शुभ योग
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर कई दुर्लभ एवं मंगलकारी योग बन रहे हैं। आज दिन भर रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही वरीयान और शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही रोहिणी के गुरु में रहने से गजकेसरी योग और सूर्य के बुध के साथ रहने पर बुधादित्य योग बन रहे हैं।बेहद खास है तिथि
सनातन शास्त्रों में निहित है कि कार्तिक माह में जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से जागृत होते हैं। इसके लिए कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु जागृत होते हैं। इस महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का भी विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर करवा चौथ मनाया जाता है। इसके साथ वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है।
पूजा की थाली में शामिल करें ये चीजें
लकड़ी की चौकी, चलनी, करवा, रोली, चावल, जौ, सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर, चंदन, शहद, धूप, माचिस, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, शुद्ध जल, कुमकुम, हल्दी, कलश, पीली मिट्टी, अठावरी, हलवा, दक्षिणा आदि।करवा चौथ पूजा विधि
व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखें। उपवास के दौरान न कुछ खाएं और न कुछ पिएं। संध्याकाल में चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलें। शारीरिक रूप से सक्षम न होने पर व्रत के दौरान एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकती हैं। संध्याकाल में स्नान-ध्यान करने के बाद पूजा स्थल पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर शिव परिवार की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। साथ ही करवा माता की तस्वीर लगाएं। करवा स्थापित कर उसमें जल रख दें। अब जल में एक सिक्का रखें और लाल कपड़े से करवा को ढंक दें। अब ऊपर दीपक रख दें। इस समय विधि विधान से पूजा करें। साथ ही करवा चौथ की व्रत कथा का पाठ करें। करवा माता को भोग लगाएं और आरती करें।चंद्र देव की पूजा
संध्याकाल में चंद्र को जल का अर्घ्य दें। इस समय चंद्र देव को फल, फूल अर्पित करें। साथ ही धूप-दीप से आरती करें। अब छलनी से पति का दर्शन करें और आरती उतारें एवं पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके बाद पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत खोलें।पति के लिए व्रत
अनादिकाल से पति के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं। जगत की देवी मां पार्वती ने भी भगवान शिव को पाने हेतु सोलह सोमवार का व्रत रखा था। इसके साथ ही माता सावित्री ने पति की लंबी आयु के लिए यमदेव की उपासना की थी। इसके साथ ही महाभारत काल में द्रौपदी ने पति की लंबी आयु के लिए कई व्रत किए थे।