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घर को बुरी नजर से बचाता है ये राक्षस, देवताओं के समान मिला हुआ है दर्जा

आपने कई घरों के बाहर एक राक्षस का मुखौटा लगा देखा होगा। माना जाता है कि इस मुखौटे को लगाने से व्यक्ति के घर-परिवार में नकारात्मकता का प्रवेश नहीं होता। दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है। जिस रक्षा के आज हम कथा बात करने जा रहे हैं उनका नाम कीर्तिमुख है और उसका संबंध भगवान शिव से माना गया है तो चलिए जानते हैं वह कथा।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 12 Jul 2024 12:15 PM (IST)
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kirtimukha घर को बुरी नजर से बचाता है ये राक्षस। (Picture Credit: Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में देवी-देवता की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। हर व्यक्ति अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना करता है, ताकि उसके घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहे। वहीं इसके विपरीत राक्षसों को नकारात्मक दृष्टि से देखा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा राक्षस भी है जिसे देवी-देवताओं के समान ही दर्जा दिया जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि यह राक्षस आपके परिवार की किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचाव करता है।

क्रोधित हो गए महादेव

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ध्यान में लीन थे। तब राहु, जो अपनी शक्तियों के घमंड में चूर था, उसने ने महादेव के सिर पर विराजमान चंद्रमा को ग्रहण लगा दिया। शिव जी यह देखकर बहुत ही क्रोधित हुए और गुस्से में उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। तब महादेव ने राहु को मारने के लिए कीर्तिमुख की उत्पत्ति की।

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राहु ने मांगी क्षमा

महादेव ने कीर्तिमुख को राहु को खाने का आदेश दिया। यह बात सुनकर कीर्तिमुख राहु के पीछे दौड़ पड़ा। यह देखकर राहु महादेव के पैरों में गिर पड़ा और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगने लगा। इससे महादेव को उसपर दया आ गई और उन्हें राहु को क्षमा कर दिया। इसके बाद भगवान शिव पुनः ध्यान करने बैठ गए। लेकिन कीर्तिमुख ने भगवान से कहा कि मैं भूखा हूं और अब मैं किसे खाऊं। भगवान शिव ने ध्यान में ही कह दिया कि तुम स्वयं को ही खा लो।

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भगवान शिव ने दिया ये आशीर्वाद

तब कीर्तिमुख ने ऐसे ही किया और वह खुद को खाने लगा। तब महादेव का ध्यान टूटा, तो उन्होंने देखा कि कीर्तिमुख ने अपने आप को खा रहा है और उसका केवल मुख और दो हाथ ही शेष बचे हैं। यह देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए कि किस प्रकार उसने महादेव की बात को माना। तब शिव शंकर ने उसे वरदान दिया कि जहां तुम विराजमान हो जाओगे वहां किसी भी प्रकार की नकारात्मकता का वास नहीं होगा।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।