जानें, हिंदू धर्म में क्यों करते हैं पीपल के पेड़ की पूजा
शास्त्रों की मानें तो हर शनिवार के दिन पीपल पेड़ के जड़ में जल का अर्घ्य देने और परिक्रमा करने से शनि दोष समाप्त होता है। साथ ही आयु बढ़ती है। पीपल पेड़ की परिक्रमा कर जल अर्घ्य देने से व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं।
By Umanath SinghEdited By: Updated: Sat, 22 Jan 2022 11:43 AM (IST)
सनातन धर्म में पीपल पेड़ को देव वृक्ष कहा जाता है। अतः पीपल पेड़ की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पीपल मनुष्य के लिए बेहद उपयोगी पेड़ है। ऐसी मान्यता है कि पीपल पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही साढ़े साती दोष से भी मुक्ति मिलती है। ज्योतिष हमेशा शनि की ढैया और साढ़े साती से पीड़ित जातक को शनिवार के दिन पीपल पेड़ की पूजा करने की सलाह देते हैं। आइए जानते हैं कि क्यों पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है-
सनातन शास्त्रों की मानें तो पीपल के पेड़ में भगवान श्रीहरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी वास करते हैं। चिरकाल में एक बार मां लक्ष्मी और उनकी बहन दरिद्रा ने भगवान श्रीहरि विष्णु ने कहा-हे प्रभु! हमलोग कहां पर वास करें। यह सुन भगवान ने कहा-जिस प्रकार समस्त ब्रह्मांड के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। उसी प्रकार पीपल के पेड़ में भी सभी देवी-देवता वास करते हैं। आप मेरे साथ पीपल पेड़ में वास कर सकती हैं। शास्त्रों में निहित है कि पीपल के जड़, तने और पत्तों में भगवान श्रीहरि विष्णु जी वास करते हैं। वहीं, फलों में सभी देवताओं समेत अच्युत निवास करते हैं। अतः सनातन धर्म में पीपल के पेड़ की पूजा करने का विधान है।
पीपल पेड़ की पूजा करने के लाभ
शास्त्रों की मानें तो हर शनिवार के दिन पीपल पेड़ के जड़ में जल का अर्घ्य देने और परिक्रमा करने से शनि दोष समाप्त होता है। साथ ही आयु बढ़ती है। पद्म पुराण में निहित है कि पीपल पेड़ की परिक्रमा कर जल अर्घ्य देने से व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं। पीपल में पितरों का भी वास होता है। पीपल पेड़ की पूजा करने से पितृ भी प्रसन्न होते हैं। इससे व्यक्ति पर पितरों की कृपा बरसती है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'