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Kojagari Puja 2022: कल है कोजागरी पूजा, जानें मां लक्ष्मी के पूजन का मुहूर्त और महत्व

Kojagari Puja 2022 शरद पूर्णिमा के दिन बिहार पश्चिम बंगाल असम जैसे राज्यों में कोजागरी पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती और रात को जागरण कर माता को प्रसन्न किया जाता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sat, 08 Oct 2022 03:30 PM (IST)
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Kojagra Puja 2022: इस वर्ष 19 अक्टूबर को कोजागरी पूजा की जाएगी।
नई दिल्ली, Kojagari Puja 2022: कोजागरी पूजा को हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हर वर्ष अश्विन मास के पूर्णिमा तिथि के दिन माता लक्ष्मी को समर्पित विशेष पूजा-पाठ किया जाता है। बिहार, असम, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बिहार में खासकर मैथिल बहुल क्षेत्रों में इसे 'कोजगरा पूजा' के नाम से जाना जाता है। इस दिन देशभर में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2022) पर्व मनाया जाता है। इस दिन विशेष पूजा-अनुष्ठान किए हैं और मध्य रात्रि में जागरण किया जाता है। आइए जानते हैं कोजागरी पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत विधि।

कोजागरी पूजा शुभ मुहूर्त (Kojagra Puja 2022 Shubh Muhurat)

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 19 अक्टूबर शाम 07:00 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 20 अक्टूबर रात 08:20 बजे तक

कोजागरी पूजा तिथि- 19 अक्टूबर 2022

कोजागरी व्रत विधि (Kojagari Puja Vrat Vidhi)

शास्त्रों के अनुसार अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लें। इस दिन पीतल, तांबे, चांदी, सोने जैसी धातु से बनी देवी लक्ष्मी की मूर्ति को नए वस्त्र में लपेटकर पूजा करें। इसके बाद रात्रि में चंद्रोदय के समय घी का दीपक जलाएं और चंद्र दर्शन करें। इस दूध से बनी खीर को चांद की रोशनी के नीचे रखने को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कुछ समय बाद वह खीर माता लक्ष्मी को अर्पित करें और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। माना जाता है कि इस दिन चांद की किरणों में अमृत के गुण आ जाते हैं। यही कारण है कि शास्त्रों में भी इस दिन खीर बनाने और उसे चांद की रोशनी में रखने को इतना महत्व दिया गया है।

कोजागरी पूजा महत्व (Kojagra Puja 2022 Importance)

शास्त्रों के अनुसार कोजागरी पूजा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से और रात को जागरण करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन विधिवत अनुष्ठान करने से सुख, समृद्धि, धन और भाग्य का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही यह मान्यता भी प्रचलित है कि जो व्यक्ति चांद की रौशनी में रखे गए खीर को ग्रहण करता है उसके भी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।