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Sankashti Chaturthi 2024: लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा, बदल जाएगी आपकी किस्मत

हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने का विधान है। दैनिक पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी है। इस बार लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी 29 जनवरी 2024 को है। मान्यता है कि लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने से बुद्धि विद्या और ज्ञान मिलता है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Sun, 21 Jan 2024 03:30 PM (IST)
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Sankashti Chaturthi 2024: लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा, बदल जाएगी आपकी किस्मत
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lambodara Sankashti Chaturthi 2024: भगवान गणेश जी को शास्त्रों में प्रथम पूज्य माना गया है। हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि का अहम महत्व है। हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा-व्रत करने का विधान है। दैनिक पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस बार लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी 29 जनवरी 2024 को है। मान्यता है कि लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के दिन विधिपूर्वक भगवान गणेश जी की पूजा करने से बुद्धि, विद्या और ज्ञान मिलता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। चलिए आपको बातएंगे कि इस दिन किस प्रकार गणपत्ति बप्पा की पूजा करना फलदायी होता है।

लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और गणपत्ति बप्पा का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। मंदिर की साफ-सफाई करें। अब चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद उन्हें पंचामृत, रोली, अक्षत, जनेऊ, सिंदूर, कूश, दूर्वा, सुपारी इत्यादि अर्पित करें। इसके बाद दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें और आरती करें। पूजा के दौरान गणेश चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है। अब भगवान गणेश को लड्डू का भोग चढ़ाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

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लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी पूजा सामग्री लिस्ट

  • जल और गंगाजल
  • पंचामृत
  • रोली
  • अक्षत
  • जनेऊ
  • सिंदूर
  • दूर्वा
  • सुपारी
  • दीपक
  • घी
  • फल
  • फूल
  • लड्डू
  • भगवान गणेश की प्रतिमा

लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी मंत्र

1. वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ: ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ।।

2. गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं ।

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ।।

3. एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं ।

विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम् ।।

4. सर्वाज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम् ।

सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ।।

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डिस्क्लेमर- ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी

Pic Credit- Freepik