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Sawan Somwar 2024: सावन के अंतिम सोमवार पर करें इन मंत्रों का जप, चमक जाएगी आपकी किस्मत

सावन का महीना बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि यह महीना देवों के देव महादेव को को समर्पित है। पंचांग के अनुसार वर्ष 2024 में सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हुई थी। वहीं इसका समापन 19 अगस्त (Sawan 2024 End Date) को होगा। ऐसी मान्यता है कि सावन में सच्चे मन से महादेव की पूजा करने से जीवन खुशहाल होता है और शिव जी प्रसन्न होते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 17 Aug 2024 05:53 PM (IST)
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Sawan Somwar 2024: भगवान शिव चमत्कारी मंत्र

धर्म डेक्स,नई दिल्ली। Sawan Somwar 2024: सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस वर्ष सावन का समापन सोमवार के दिन हो रहा है। मान्यता के अनुसार, इस शुभ अवसर पर महादेव की उपासना और मंत्रो का जप करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और सुख-शांति मिलती है। ऐसे में आइए जानते हैं सावन के अंतिम सोमवार की डेट, शुभ मुहूर्त और भगवान शिव के मंत्रों के बारे में।

सावन का अंतिम सोमवार 2024 की डेट और शुभ मुहूर्त (Sawan Ka Antim Somwar 2024 Date Shubh Muhurat)

सावन का अंतिम सोमवार व्रत पूर्णिमा पर किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा 19 अगस्त को रात 03 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 19 अगस्त को रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। इसी दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 25 मिनट से लेकर 05 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।

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शिव नमस्कार मंत्र

शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।


श‍िव नामावली मंत्र

श्री शिवाय नम:

श्री शंकराय नम:

श्री महेश्वराय नम:

श्री सांबसदाशिवाय नम:

श्री रुद्राय नम:

ॐ पार्वतीपतये नम:

ॐ नमो नीलकण्ठाय नम:


शिव आवाहन मंत्र

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।

तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।

वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।

नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।

आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।

नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।

देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।

नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।

नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।

अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।

नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।


शिव स्तुति मंत्र

ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय हिरण्यपतए

अंबिका पतए उमा पतए पशूपतए नमो नमः

ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम्

ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवो अस्तु सदा शिवोहम

तत्पुरुषाय विद्महे वागविशुद्धाय धिमहे तन्नो शिव प्रचोदयात्

महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धिमहे तन्नों शिव प्रचोदयात्

नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय त्रिपुरान्तकाय त्रिकाग्नी कालाय कालाग्नी

रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय सर्वेश्वराय सदशिवाय श्रीमान महादेवाय नमः

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।