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Laxmi Mata Aarti and Mantra: लक्ष्मी जी की आरती करने से मिलता है विशेष फल

Laxmi Mata Aarti and Mantra लक्ष्मी जी को धन की देवी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस घर में लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है उस घर में बरकत का वास होता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 17 Jul 2020 07:00 AM (IST)
Laxmi Mata Aarti and Mantra: लक्ष्मी जी की आरती करने से मिलता है विशेष फल
Laxmi Mata Aarti and Mantra: लक्ष्मी जी को धन की देवी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस घर में लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है उस घर में बरकत का वास होता है। लक्ष्मी जी की आरती व पूजा करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। कई लोग तो लक्ष्मी मां की पूजा और व्रत करते हैं। कहते हैं कि अगर धन की देवी लक्ष्मी की आरती उतार पूजा की जाए तो वो प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आर्शीवाद देती हैं। लक्ष्मी जी की आरती उतार कर और चालीसा पाठ कर आप मां की आराधना कर सकते हैं। यहां हम आपको लक्ष्मी मां की आरती बता रहे हैं। यह आरती करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

लक्ष्मी माता की आरती:

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता....

ॐ जय लक्ष्मी माता...।।

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता

सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता...।।

दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता...।।

तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता

कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता...।।

जिस घर तुम रहती सब सद्‍गुण आता

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता...।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता...।।

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता...।।

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता

उर आनंद समाता, पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता...।।

लक्ष्मी जी का मंत्र: हम आपको लक्ष्मी मंत्र की जानकारी भी दे रहे हैं। इस मंत्र को 42 दिनों के भीतर 1.25 लाख बार जप किया जाता है। इसके बाद हवन कर देवी लक्ष्मी की षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है। पढ़ें मंत्र:

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।