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Lord Hanuman Mantra: हनुमान जी की पूजा में इन मंत्रों का करें जाप, बिगड़े काम होंगे पूरे

मंगलवार के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से मंगल दोष से निजात मिलती है और इंसान के बिगड़े हुए काम पूरे होते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा में मंत्रों का जाप न करने से उनकी कृपा प्राप्त नहीं होती है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Mon, 29 Jan 2024 01:47 PM (IST)
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Lord Hanuman Mantra: हनुमान जी की पूजा में इन मंत्रों का करें जाप, बिगड़े काम होंगे पूरे
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Hanuman Mantra: सनातन धर्म में हर दिन का अपना खास महत्व है। मंगलवार के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से मंगल दोष से निजात मिलती है और इंसान के बिगड़े हुए काम पूरे होते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा में मंत्रों का जाप न करने से उनकी कृपा प्राप्त नहीं होती है। इसलिए मंगलवार की पूजा दौरान के हनुमान जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से इंसान को सुख-समृद्धि, धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और जीवन के संकटों से छुटकारा मिलता है। हनुमान जी के मंत्र इस प्रकार है-

हनुमान मंत्र (Hanuman Mantra)

1. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा!

2. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय

प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

3. मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

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4. मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर |

यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे ||

5. वायुपुत्र ! नमस्तुभ्यं पुष्पं सौवर्णकं प्रियम् |

पूजयिष्यामि ते मूर्ध्नि नवरत्न – समुज्जलम् ||

6.ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय परयन्त्रतन्त्रत्राटकनाशकाय सर्वज्वरच्छेदकाय सर्वव्याधिनिकृन्तकाय सर्वभयप्रशमनाय सर्वदुष्टमुखस्तंभनाय सर्वकार्यसिद्धिप्रदाय रामदूताय स्वाहा।

7. महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते।

हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।।

8 अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।

9 ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय आध्यात्मिकाधिदैवीकाधिभौतिक

तापत्रय निवारणाय रामदूताय स्वाहा।

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